संसद से पिछले साल ही भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य अधिनियम पास किए गए थे., जो 1 जुलाई को होने जा रहे हैं लागू
कौन कौन से हैं 3 नए कानून, नीचे जानिए डिटेल में 👇👇👇
याचिका में उठाए गए थे यह सवाल
याचिका में दावा किया गया था कि नए आपराधिक कानूनों में कई विसंगतियां हैं। याचिका में कहा गया था कि नए आपराधिक कानूनों को लागू करने से रोक की मांग की गई है। आरोप है कि इन कानूनों पर संसद में बहस नहीं हुई और जब विपक्षी सांसद निलंबित थे, तब इन कानूनों को संसद से पास करा लिया गया था। याचिका में मांग की गई थी कि विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जाए, जो आपराधिक कानूनों की व्यावहारिकता की जांच करे। याचिका में आरोप लगाया गया था कि नए आपराधिक कानून कहीं अधिक कठोर हैं और इससे देश में पुलिस का राज स्थापित हो जाएगा। ये कानून देश के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। ये कानून अंग्रेजी कानूनों से भी ज्यादा कठोर हैं। पुराने कानूनों में किसी व्यक्ति को 15 दिनों तक पुलिस हिरासत में रखने का प्रावधान है, लेकिन नए कानूनों में यह सीमा बढ़ाकर 90 दिन कर दी गई है।
बीते साल मिली थी मंजूरी
नए कानूनों में देशद्रोह कानून को नए अवतार में लाया जा रहा है और इसके दोषी को उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। लोकसभा में बीती 21 दिसंबर को तीन नए आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक को मंजूरी मिली थी। ये कानून मौजूदा कानूनों इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इन कानूनों को मंजूरी दे दी थी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने क्या कहा था
अधिसूचना के अनुसार, कानून उस तारीख से लागू होंगे जब केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना जारी करेगी और इस संहिता के अलग-अलग प्रावधानों के लिए अलग-अलग तारीखें तय की जा सकती है. संसद में तीनों विधेयकों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन विधेयकों का जोर पूर्ववर्ती कानूनों की तरह दंड देने पर नहीं, बल्कि न्याय मुहैया कराने पर है.
उन्होंने कहा था कि इन कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों और उनकी सजा को परिभाषित करके देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूलचूल बदलाव लाना है. इनमें आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा दी गई है, राजद्रोह को अपराध के रूप में खत्म कर दिया गया है और राज्य के खिलाफ अपराध शीर्षक से एक नया खंड जोड़ा गया है. ये विधेयक सबसे पहले अगस्त में संसद के मॉनसून सत्र में पेश किए गए थे.
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अमित शाह ने बताया नए कानूनों में क्या है खास
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि राजद्रोह तभी लागू होगा जब यह राष्ट्र की अखंडता, संप्रभुता और एकता के खिलाफ हो, न कि केवल सरकार के खिलाफ। सरकार की आलोचना करने की अनुमति है, लेकिन देश के झंडे, सुरक्षा या संपत्ति में हस्तक्षेप करने पर जेल हो सकती है। नए कानून आतंकवादी गतिविधियों को भी परिभाषित करते हैं जो केंद्र सरकार, किसी भी राज्य, विदेशी सरकार या अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठन की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। पहली बार टेररिज्म को परिभाषित किया गया है और इसे दंडनीय अपराध बनाया गया है।
राजद्रोह को हटाया गया, आतंकवाद पर सख्त एक्शन
नए कानूनों के तहत, जो भी शख्स देश को नुकसान पहुंचाने के लिए डायनामाइट या जहरीली गैस जैसे खतरनाक पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें आतंकवादी माना जाएगा। इसमें खास बात ये है कि अगर कोई आरोपी शख्स भारत से बाहर भी छिपा हुआ है तो भी उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। अगर वो 90 दिनों के भीतर कोर्ट में पेश होने में विफल रहता है, तभी केस चलेगा। ऐसे मामलों में, आरोपी शख्स की अनुपस्थिति में केस चलेगा और अभियोजन के लिए एक पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किया जाएगा।
लड़कियों और बच्चों पर अपराध में सख्ती
नए कानून में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामलों का भी जिक्र है। दंड संहिता में नरम प्रावधानों का फायदा उठाने से आरोपी व्यक्तियों को रोकने के लिए कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले को पॉक्सो के साथ जोड़ा गया है। ऐसे केस में आजीवन कारावास या मृत्युदंड का भी प्रावधान किया गया है। गैंगरेप के मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, नाबालिग के साथ गैंगरेप को नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है। कुल मिलाकर, नए कानूनों को लागू करने का उद्देश्य लीगल सिस्टम को मॉडर्न जरूरतों के अनुरूप लाना और राष्ट्र की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना है।
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