ग्रामीणों के अनुसार इस आयोजन को 'कड़ाहा पूजा' कहते हैं। कुछ लोग इसे काशी बाबा पूजा भी कहते हैं। श्रीकृष्ण को समर्पित यह पूजा सदियों से होती चली आ रही है। वीडियो में दिख रहा है कि उपलों (गोबर से बनी गोहरी) पर कई मिट्टी के बर्तनों में दूध को खौलाया जा रहा है। इस दौरान एक सख्स खौलते दूध को बार बार अपने हाथों से निकालता है और अपने शरीर पर छिड़कता है।
यूपी और बिहार में आज भी परंपरा और पूजा पाठ के नाम पर ऐसी चीजें लगातार जारी हैं जिन्हें देखकर कोई भी दांतों तले उंगली दबा ले। ऐसा ही नजारा बलिया से सामने आया है। यहां एक साल से भी कम उम्र के बच्चे पर खौलता दूध डाला जा रहा है। इस दौरान बच्चे के मां-बाप हाथ जोड़े खड़े हैं।#ballia pic.twitter.com/OuptBVn8vf
— Hindustan Varanasi (@HindustanVns) June 29, 2023
इसी दौरान उसके पास ही एक बच्चा भी दिखाई देता है। जिसकी उम्र एक साल से भी कम नजर आती है। वह पहले खौलते दूध को अपने हाथ में से बर्तन से निकालता है फिर उसे बच्चे के ऊपर डालता है। उसके ऐसा करते ही लोग जय-जयकार करने लगते हैं। फिर वह बच्चे को गोद में लेकर चारों तरफ चक्कर लगाता है फिर दोबार खौलते दूध के पास आता है और दूध के झाग को निकालकर बच्चे के पूरे शरीर पर रगड़ता है। इस दौरान बच्चे के मां-बाप हाथ जोड़े खड़े रहते हैं और लोग जोर-जोर से जयकारा लगते रहते हैं।
एक स्थानीय ग्रामीण के अनुसार इस तरह से बच्चे को खौलते दूध के झाग से रगड़ने वाले शख्स का नाम अनिल यादव है। लोग उन्हें अनिल भगत के नाम से पुकारते हैं। ग्रामीण ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि इस तरह की पूजा से सुख-शांति आती है और परिवार परेशानियों से मुक्त हो जाता है।
अनिल भगत का कहना है कि काशी बाबा की पूजा का इस क्षेत्र में काफी महत्व है। यह पूजा सुख-शांति के लिए की जाती है। यह पूजा लोगों को विपत्तियों से दूर रखती है। वह खुद साल में एक बार अपने घर में इस पूजा का आयोजन करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने एक बार यह पूजा कराई थी।
एक ग्रामीण के अनुसार कड़ाहा या कराहा पूजा भगवान कृष्ण और कुछ अन्य देवताओं को समर्पित है। इस पूजा में मिट्टी के घड़े में दूध उबाला जाता है। कुछ पुजारी एक घड़े का उपयोग करते हैं और कुछ लोग एक से ज्यादा घड़ों में दूध उबालते हैं। खीर भी बनाई जाती है।
पूजा करने वाले भगत उबलते दूध से स्नान करते हैं। यह पूजा बलिया, वाराणसी और पूर्वी यूपी के अन्य जिलों के दूरदराज के इलाकों में बहुत आम है।आमतौर पर यह पूजा यादव समाज के लोग ही करवाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह पूजा सौभाग्य, समृद्धि लाती है और इसे करवाने वालों के परिवार के सदस्यों की रक्षा करती है।
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