नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव के मस्तिष्ट में काफी सूजन आ जाने के कारण उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई थी। ऐसे में दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में उनके ब्रेन की इमरजेंसी सर्जरी की गई।
17 मार्च को मस्तिष्क में सूजन और ब्लीडिंग का पता चलने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जानकारी के मुताबिक सदगुरु पिछले कई दिनों से सिर में गंभीर दर्द से पीड़ित थे।
MRI पर ब्रेन में सूजन और ब्लीडिंग डॉयगनोस
सदगुरु को सिर में तेज दर्द की शिकायत पर दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां सद्गुरु का इलाज डॉक्टर विनीत सूरी के अंडर में चल रहा है। सद्गुरु की समस्या को देखते हुए डॉक्टर ने उनसे एमआरआई कराने की सलाह दी। जांच में सामने आया कि उनके ब्रेन में काफी सूजन आ चुकी है। इसके साथ ही एमआईआई में देखा गया कि उनके ब्रेन में ब्लीडिंग भी हो रही है। ऐसे में डॉक्टरों ने देर न करते हुए उनके ब्रेन की इमरजेंसी सर्जरी करनी पड़ी।
डॉक्टरों की टीम ने किया सफल ऑपरेशन
दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने सद्गुरु के ब्रेन की जटिल और सफल सर्जरी की। अपोलो के डॉ. विनीत सूरी, डॉ. प्रणव कुमार, डॉ. सुधीर त्यागी और डॉ. एस चटर्जी की टीम ने सद्गुरु जग्गी के ब्रेन की इमरजेंसी सर्जरी की। ऑपरेशन के बाद सद्गुरु को वेंटिलेटर से भी हटा दिया गया है। डॉक्टरों ने बताया कि ऑपरेशन के बाद से उनकी हालत में सुधार भी आ रहा है।
जानें सद्गुरु की जीवनी👇
सद्गुरु जग्गी वासुदेव का जन्म 03 सितंबर 1957 को कर्नाटक के मैसूर में एक संपन्न तेलुगु परिवार में हुआ. इनका पूरा नाम जगदीश ‘जग्गी’ वासुदेव है. बचपन से ही सद्गुरु अलग सोच रखते थे और किसी भी चीज को देखते हुए उसके बारे में चिंतन करने लग जाते थे. चीजों को देखने के बाद मन में उठने वाली जिज्ञासा को शांत करने के लिए जग्गी वासुदेव ने खुद से सवाल करने शुरू कर दिए. अगर उन्हें कोई पानी देता तो पानी को लेकर भी उनके मन में कई सवाल उठते, जैसे पानी आखिर क्या चीज है, इसका इस्तेमाल किसके लिए, कैसे और क्यों होता है आदि. उनकी इसी आदत को लेकर पिता को भी चिंता सताने लगी.
जैसे-जैसे जग्गी वासुदेव की उम्र बढ़ने लगी. उनके मन में सवाल और ज्यादा बढ़ने लगे थे. बचपन के दिनो में वे पेड़ के नीचे बैठकर ध्यान में मग्न हो जाते थे. उन्होंने 11 साल की उम्र योग गुरु राजेंद्र भाव जी महाराज से योगाभ्यास शुरु किया.
12 वीं में उत्तीर्ण होने के बाद सद्गुरु ने अंग्रेजी साहित्य में मैसूर विश्वविद्यालय से स्नातक किया. पढ़ाई पूरी करने के बाद सद्गुरु ने बिजनेस शुरू किया और एक सफल बिजनेसमैन भी बने. उन्होंने पोल्ट्री फार्म, ब्रिकवर्क्स और निर्माण व्यवसाय का काम किया. सद्गुरु ने विज्जी नाम की महिला के साथ शादी की और वैवाहिक जीवन की शुरुआत की. विवाह के छह साल बाद 1990 में उनकी एक बेटी हुई, जिसका नाम राधे जग्गी रखा गया. 1997 में विज्जी ने महासमाधि लेकर दुनिया को अलविदा कह दिया, इस घटना ने बदल दी जग्गी वासुदेव की जिंदगी और बन गए सद्गुरु
सद्गुरु जब 25 साल के थे तब उनके जीवन में ऐसी असामान्य घटना घटी, जिसके बाद उन्होंने सुखों का त्याग कर दिया और आध्यात्मिक अनुभव की शुरुआत की. कहा जाता है कि, जब वे 25 साल के थे तब एक दिन चामुंडी हिल गए, जोकि मैसूर में ही है. यहां पर्वत के ऊंचे पत्थर पर वे बैठे हुए थे और बैठते हुए धीरे-धीरे वे ध्यान में चले गए. इस दौरान उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि वह प्रकृति के साथ मिल चुके हैं. यह उनके जीवन का ऐसा अनुभव था, जिसने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी.
चामुंडी हिल के पत्थर पर बैठे हुए सद्गुरु समाधि की अवस्था में चले गए थे. समाधि की अवस्था ऐसी अवस्था होती है, जिसमें व्यक्ति को होश तो रहता है लेकिन दिमाग और मन में विचार शून्य हो जाते हैं. इतना की समय का भी कुछ अनुभव नहीं होता. जब सद्गुरु समाधि की अवस्था से बाहर आए तो उन्हें ऐसा लगा कि 10 मिनट बीत चुके हैं. लेकिन उन्होंने इस अवस्था में 4 घंटे बिता दिए थे. इसके बाद सद्गुरु एक बार फिर से समाधि अवस्था में गए और जब वह समाधि की अवस्था से बाहर आए, तब उनके चारों ओर बहुत सारे लोग बैठे हुए थे और गले में फूलों की मालाएं थी. सद्गुरु के मुताबिक, उन्हें समाधि में गए हुए 25 मिनट हुए थे. लेकिन उन्हें पता चलता है कि, उन्हें समाधि की अवस्था में गए पूरे 13 दिन हो बीत चुके थे.
इसके बाद सद्गुरु ने यह तय किया कि, अब वे इस अद्भुत अनुभव से सभी को अवगत कराएंगे. इसके बाद सद्गुरु ने अपना बिजनेस भी छोड़ दिया और इस अनुभव का ज्ञान लोगों में बांटने लगे. इसके लिए उन्होंने 1983 में पहली बार योग की क्लास शुरू की.
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