Old Fort Delhi: फिर शुरू हुई पुरानी किले की खुदाई, जानिए अब तक क्या-क्या मिलें हैं सामान, और जानिए किले का इतिहास

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Old Fort Delhi: फिर शुरू हुई पुरानी किले की खुदाई, जानिए अब तक क्या-क्या मिलें हैं सामान, और जानिए किले का इतिहास

 नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने घोषणा की है कि पुराना किला में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ को ढूंढने के लिए खोदाई को और विस्तार दिया जाएगा। खोदाई में कुषाण काल से लेकर मौर्य काल तक के 2500 साल के पुराने साक्ष्य मिले हैं। मंगलवार को खोदाई स्थल पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री ने खुशी जाहिर की और खोदाई को विस्तार देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यहां नए खोदाई स्थल पर वर्तमान में प्रारंभिक कुषाण काल की संरचनाएं मिली हैं, जिसमें अब तक 5.50 मीटर की गहराई तक खोदाई की जा चुकी है।

इस उत्खनन से इंद्रप्रस्थ के प्राचीन शहर के बारे में और जानकारी मिलने की उम्मीद है। इस खोदाई में कुषाण काल का पक्की ईंटों का एक चबूतरा और बर्तन पकाने वाली एक भट्ठी मिली है। रेड्डी ने पुरातत्वविदों से खोदाई को लेकर चर्चा की, खोदाई में मिलीं धरोहर का निरीक्षण भी किया। रेड्डी ने जी-20 के दौरान सितंबर में आने वाले विदेशी मेहमानों को भी यहां लाकर उन्हें खोदाई का अवलोकन कराने की बात कही है।

एएसआइ ने कहा है, 'मंत्री के निर्देश पर अनुमति लेकर अगली बार खोदाई को विस्तार दिया जाएगा।' केंद्रीय मंत्री रेड्डी मंगलवार सुबह पुराना किला पहुंचे थे। एएसआइ के अतिरिक्त महानिदेशक आलोक त्रिपाठी और खोदाई करा रहे एएसआइ के निदेशक वसंत स्वर्णकार ने उन्हें खोदाई स्थल का निरीक्षण कराया। स्वर्णकार इस समय पुराने किले में तीसरी बार उत्खन्न का काम करा रहे हैं।

किले के दोनों स्थलों का निरीक्षण के दौरान खोदाई में मिले साक्ष्यों को एक-एक कर निरीक्षण करते रहे और सभी के बारे में विस्तार से उन्होंने जानकारी ली। मंत्री ने कहा कि जब इतना महत्वपूर्ण स्थल है तो खोदाई इतने छोटे स्तर पर क्यों हो रही है। इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए इस कार्य को विस्तार दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर पुराने किले को एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

संस्कृति मंत्री रेड्डी ने कहा कि यहां नौ सांस्कृतिक काल के प्रमाण मिले हैं। यह पांचवीं बार उत्खन्न किया जा रहा है। दिल्ली में ये एकमात्र पुरातात्विक स्थल है, जिसका संबंध महाभारत काल से है। जल्द ही यहां ओपन एयर संग्रहालय बनाया जाएगा, ताकि लोग उत्खन्न स्थल का अनुभव कर सकें। यहां सूचनात्मक कियोस्क और स्क्रीन भी लगाई जाएगी। इस बार गत जनवरी से एएसआइ पुराना किला में दो स्थानों पर खोदाई करा रहा है।

पूर्व के खोदाई स्थल शेर मंडल के पीछे जमीन के अंदर बालू आ जाने पर काम रोक दिया गया है, जबकि इस बार कुंती देवी मंदिर के सामने पार्क में चुने गए नए स्थल पर अभी खोदाई जारी है। पुराना किला में उत्खन्न के दौरान पूर्व मौर्य काल, मौर्य काल, शुंग, कुषाण काल, गुप्त, उत्तर गुप्त, राजपूत काल, सल्तनत काल व मुगल काल के अवशेष प्राप्त हो चुके हैं।

यहां मिले सिक्के और मुहरें व्यापार गतिविधियों के केंद्र के रूप में इस स्थल की महत्वपूर्ण भूमिका का संकेत देती हैं। उत्खनन से 2500 वर्षों तक फैले मानव आवास और गतिविधियों के निरंतर अस्तित्व का पता चला है, जो पुराना किला के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है। किला में खोदाई के अवशेषों को संरक्षित किया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या पुराना किला स्थल पर नवीनतम खुदाई में आधुनिक काल से कुछ भी मिला है, स्वर्णकार ने कहा, "हमें ब्रिटिश युग का जूता पालिश बाक्स मिला है। ब्रांड का नाम 'पैरट' है, जिस पर 'मेड इन इंग्लैंड' छपा हुआ है।

यहां मिले हैं ये पुरावशेष

कुंती मंदिर स्थल पर वैकुंठ विष्णु भगवान की 900 साल पुरानी राजपूत काल की प्रतिमा।

गुप्तकाल की लगभग 1200 वर्ष पुरानी गजलक्ष्मी की एक टेराकोटा की प्रतिमा।

राजपूत काल की भगवान गणेश की एक छोटी प्रतिमा।

सिक्के व मुहरें मिली हैं, जिन्हें पढ़ा जा चुका है। इन पर ब्राह्मी लिपि है।

शेर मंडल के पास वाली खोदाई में मिले

मौर्य काल से पहले के संरचनात्मक अवशेष।

टेराकोटा का कुआं, ड्रेनेज सिस्टम। तांबे के कई सिक्के।

शुंग-कुषाण काल से भी पुराने चार कमरों का परिसर।

कई चित्रित मृदभांड मिले हैं, जिन्हें महाभारत कालीन माना जाता है।

पुराना किला, दिल्ली (टिकट-शो, एंट्री टाइम और किले के बारे में पूरी जानकारी...👇

पुराना किला (Purana qila) दिल्ली (Delhi) के प्राचीन किलों में से एक है। इसका इतिहास कई शासकों से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जिस जगह पर अभी पुराना किला है, वहां कभी महाभारत काल में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ हुआ करती थी। उसी जगह पर इस किले का निर्माण कराया गया। दिल्ली शहर के बीचोंबीच स्थित इस किले में देखने के लिए बहुत कुछ है। किला-ए-कुहना मस्जिद, शेर मंडल, बड़ा दरवाजा, हमाम और पुरातत्व संग्रहालय आप यहां घूम सकते हैं। इसके अलावा यहां के प्रमुख आकर्षण बोट राइड और लाइट और साउंड शो है। किले से एकदम सटा हुआ दिल्ली का चिड़ियाघर है। समय हो तो आप एक ही ट्रिप में चिड़िया घर भी घूम सकते हैं।


किले के बारे में और इससे जुड़ा इतिहास


कहा जाता है कि पांडवों की राजधानी प्राचीन इंद्रप्रस्थ की जगह पर ही मुगल सम्राट हुमायूं ने अपनी नगरी ‘दीनपनाह’ स्थापित की। हालांकि इंद्रप्रस्थ को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। यहां खुदाई में मिली कुछ सामग्रियों और लोकेशन के आधार पर यहां इंद्रप्रस्थ नामक पुरवा के होने की बात कही जाती है। अफगानी शासक शेर शाह सूरी (1538-45) ने जब हुमायूं पर विजय प्राप्त की, तब उसने पहले के सभी भवनों को नष्ट कर शेरगढ़ का निर्माण शुरू करवाया। बाद में हुमायूं ने जब सत्ता फिर से वापस पा ली तब उसने 1545 में पुराना किले (Old Fort Delhi) का निर्माण पूरा कराया। भारत के अंतिम हिंदू शासक हेम चन्द्र विक्रमादित्य उर्फ हेमू ने आगरा और दिल्ली में मुगल सम्राट अकबर की सेनाओं को परास्त किया। ततपश्चात उसका राजतिलक इसी महल में हुआ था। हालांकि यहां से शासन करने वाले तीनों शासकों-हुमायूं, शेरशाह और हेमचंद्र के लिए यह किला अशुभ साबित हुआ।


18 मीटर ऊंची हैं किले की दीवारें


पुराना किला को मुगल, अफगानी और हिंदू वास्तुकला के समन्वय का सुंदर नमूना माना जाता है। किले की दीवारें 18 मीटर ऊंची हैं तथा इसकी चारदीवारी 2.4 किलोमीटर लंबी है। इनमें तीन मेहराबयुक्त प्रवेशद्वार हैं। बड़ा दरवाजा पश्चिम में स्थित है। किले में लोगों के प्रवेश के लिए यही दरवाजा खुला रहता है। दक्षिण में हुमायूं दरवाजा और उत्तर की ओर तलाकी दरवाजा है। इन्हें निषेध द्वार भी कहते है, शेरशाह सूरी ने यहां अष्टकोणीय दोमंजिला भवन शेर मंडल का निर्माण करवाया। बाद में इसी में हुमायूं का पुस्तकालय हुआ करता था। कहा जाता कि एक बार हुमायूं पुस्तकों का बोझ उठाए सीढ़ियों से उतर रहा था, तभी अजान की आवाज सुनाई दी। यह सुनते ही वह आदत के मुताबिक झुक गया। अजान की आवाज सुनकर वह जहां कहीं भी होता था, वहीं झुक जाया करता था। उसके झुकने के दौरान ही उसका पैर उसके लंबे चोंगे में कहीं फंस गया। इस दुर्घटना में उसको काफी शारीरिक क्षति पहुंची और 1556 में उसकी मृत्यु हो गई।


किला-ए-कुहना मस्जिद


किला-ए-कुहना मस्जिद के निर्माण में हुमायूं और शेरशाह सूरी दोनों का योगदान रहा। यह मस्जिद 1541 में बनकर तैयार हुई। यह इंडो-इस्लामिक स्थापत्य कला का एक उदाहरण है। इसमें कुरान शरीफ की सूरतें अंकित हैं। इसे जामी मस्जिद भी कहा जाता है।


पुरातत्व संग्रहालय


भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किले के भीतर स्थापित पुरातत्व संग्रहालय देखने योग्य है। इसके अंदर प्राचीन काल, कुषाण वंश, राजपूत काल, मुगल काल आदि की दुर्लभ धरोहरें रखी गई हैं। पुराना किला में खुदाई में प्राप्त मिट्टी के बर्तन, मुद्राएं आदि भी यहां देखने के लिए उपलब्ध हैं।


हमाम-आयताकार कुआं


किला परिसर में एक आयताकार कुआं भी है। इसमें सीढ़ियां बनी हुई हैं। इसे हमाम भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह राजघराने की महिलाओं के नहाने की जगह थी।


कुंती देवी मंदिर


पुराना किला परिसर में ही कुंती देवी मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा करवाया गया था।


बोटिंग राइड


पुराना किला परिसर में ही बाहर की तरफ बोटिंग राइड की सुविधा है। इसमें फव्वारे लगाकर पहले से काफी आकर्षक बना दिया गया है। यहां बोटिंग शुल्क प्रति राइड 20 मिनट के लिए 100 रुपये है।

 किले के अंदर लाइट एंड साउंड शो की शुरुआत 2011 में की गई थी। यह बहुत प्रसिद्ध शो है। इसमें प्रोजेक्टर के माध्यम से किले की दीवारों पर दिल्ली का शुरू से लेकर अब तक का इतिहास बहुत ही रोचक अंदाज में दिखाया जाता है। इसका नाम रखा गया है -‘इश्क-ए-दिल्ली’। शुक्रवार को यह शो बंद रहता है। हिंदी का शो शाम को 7:30 बजे से रात 8:30 बजे तक चलता है। अंग्रेजी में यह शो रात 9:00 से 10:00 बजे तक चलाया जाता है।


शो के लिए टिकट


प्रति वयस्क : 100 रुपये

प्रति बच्चा (3 से 12 वर्ष तक) : 50 रुपये।

पुराना किले में प्रवेश के लिए टिकट दर और खुलने का समय


पुराना किला में प्रवेश के लिए समय और टिकट दर इस प्रकार है :


खुलने का समय : सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक।


प्रवेश टिकट दर : प्रति व्यक्ति (भारतीय) : 20 रुपये। प्रति व्यक्ति (विदेशी) : 200 रुपये।


किला घूमने कब जाएं


पुराना किला हफ्ते के सातों दिन खुला रहता है। आप यहां कभी भी जा सकते हैं, पर तापमान कम होने के कारण नवंबर से मार्च का समय यहां घूमने जाने के लिए उचित रहता है। यहां घूमने जाएं तो साथ में कैमरा जरूर ले जाएं, ताकि इस ऐतिहासिक इमारत के साथ अपनी यादगार तस्वीर ले सकें। वीडियो कैमरा के लिए शुल्क (25 रुपये) चुकाना पड़ता है।

पुराना किला का नजदीकी मेट्रो स्टेशन ब्लू लाइन स्थित प्रगति मैदान है। इस मेट्रो स्टेशन से पुराना किला की दूरी करीब 2.1 किलोमीटर है। स्टेशन से बाहर निकलकर आप ई-रिक्शा से भी किले तक जा सकते हैं। किला से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन 6.3 किलोमीटर और दिल्ली एयरपोर्ट 14.4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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