'चाचा की रसोई' में सिर्फ 1 रुपए में खाइए भरपेट खाना, जानिए कहां है ये अनोखा और आलीशान होटल

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'चाचा की रसोई' में सिर्फ 1 रुपए में खाइए भरपेट खाना, जानिए कहां है ये अनोखा और आलीशान होटल

भोपाल. छतरपुर के किशोर सागर तालाब के सामने एक बड़े परिसर में अभी सन्नाटा है. लेकिन दो महीने पहले लंबी कतार लगती थी. इस लंबी लाइन में कोई गरीब मजदूर तो कोई किसान, कोई विद्यार्थी तो कोई कामकाजी महिला होती थीं.

सरकारी कर्मचारी और आसपास की बिल्डिंग में काम करने वाले कारीगर भी होते थे. सभी इस इंतजार में रहते थे कि अंदर से इशारा हो तो एक रुपए में थाली का टोकन लेकर अपने पेट की भूख मिटाए.

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए लगी आचार संहिता में एक शिकायत के चलते अभी यह बंद है. 4 दिसंबर से फिर शुरू हो जाएगी. इसका नाम है चाचा की रसोई और इसके संचालनकर्ता है विधायक आलोक चतुर्वेदी. लोग इन्हें पज्जन चाचा के नाम से जानते हैं. आलोक एक बार फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में है. आलोक बताते हैं कि कोरोना महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था से लेकर आम लोगों की जेब पर जबर्दस्त असर डाला है. बहुतों ने नौकरी गंवाई. लिहाजा यहां एक रुपए में भोजन की व्यवस्था कर ऐसे लोगों की मदद करने का काम शुरू किया. वे बताते हैं कि इस रसोई में छतरपुर के लोगों को भरपेट स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना खिलाया जाता है. दो साल पहले इस पुनीत कार्य का शुभारंभ संत किशोरदास पड़रिया धाम एवं धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर के सानिध्य में किया गया था. इसलिए, धीरेंद्र शास्त्री और देवप्रभाकर शास्त्री उर्फ दददा जी के विशाल पोस्टरों से रसोई को सजाया गया है.


लग्जरी होटल जैसी फीलिंग
रसोई को बेहद आलीशान लुक में होटलनुमा बनाया गया. लग्जरी फीलिंग आती है. यहां एक काउंटर है जहां पर लोग एक रुपए का टोकन लेते हैं, उसके बाद उनके सामने ही स्टील की थाली सजायी जाती है. जिसमें चार रोटी सब्जी दाल चावल और अचार सलाद होती है. ये थाली लेकर साफ सुथरे तरीके से बनी स्टील की बैंच और टेबल पर बैठकर भरपेट खाना खाया जाता है. इस रसोई में एक टाइम खाना मिलता है और दिन भर में करीब 500 से 8009 लोग भोजन करते हैं. एक रुपए में ही खाना क्यों दिया जाता है, इस सवाल के जवाब में आलोक कहते हैं कि हमारा मकसद भूखों को खाना खिलाना है मगर उनका सम्मान भी बरकरार रहे तो ये रसोई है भंडारा नहीं कि मुफ्त में लोग खायें. एक रुपए का शुल्क नाम मात्र का ही है सिर्फ ये बताने के लिए कि हम आपको खाना आपके पैसों का ही खिला रहे हैं. आइये सम्मान से खाइये. रोज आइये अपने दोस्तों और परिवार को भी लाइये हमें जरा भी ऐतराज नहीं है. आत्म सम्मान के साथ साफ सुथरी रसोई में बैठकर घर जैसा भरपेट खाना मिले तो क्या चाहिए?

ग्लैमर अवार्ड शो के जरिए लड़कियों को ब्यूटी पॉर्लर की ट्रेनिंग
आलोक सिर्फ चाचा की रसोई तक सीमित नहीं है. बल्कि वे अन्य सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं. वे बताते हैं कि फ्री चेकअप कैंप के जरिए 20 हजार से ज्यादा लोगों की जांच करा चुके हैं. तीन हजार से ज्यादा लोगों को भोपाल में फ्री इलाज कराया है. रोजगार के लिए पिछले साल से ग्लैमर अवार्ड शो शुरू किया है. इसमें लड़कियों को ब्यूटी पॉलर्र की ट्रेनिंग दी जाती है.

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