Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 18, 2023
🌖 as captured by the
Lander Position Detection Camera (LPDC)
on August 15, 2023#Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/nGgayU1QUS
विक्रम लैंडर को सफलतापूर्वक अलग किया
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने गुरुवार दोपहर मुख्य अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 से विक्रम लैंडर को सफलतापूर्वक अलग कर दिया। इसके साथ ही भारत का चंद्रयान मिशन एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रोपल्शन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ट्वीट किया, सवारी के लिए धन्यवाद, दोस्त! लैंडर मॉड्यूल (एलएम) को प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है। कल लगभग 1600 बजे नियोजित डीबूस्टिंग पर एलएम थोड़ी निचली कक्षा में उतरने के लिए तैयार है।
इसरो के मुताबिक, लैंडर चंद्रमा के चारों ओर 153 किमी गुना 163 किमी की कक्षा में प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया। इसरो ने कहा, इस बीच, प्रोपल्शन मॉड्यूल वर्तमान कक्षा में महीनों/वर्षों तक अपनी यात्रा जारी रखेगा। इसरो का कहना है कि 23 अगस्त को यान की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा। इससे पहले बुधवार को चंद्रयान-3 चंद्रमा के और भी ज्यादा करीब पहुंच गया। पांचवीं और आखिरी बाधा पार करके चंद्रयान को चंद्रमा की 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित कराया गया। इसके बाद चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई है।
चंद्रयान-3 का 14 जुलाई को प्रक्षेपण
बता दें, चंद्रयान-3 का 14 जुलाई को प्रक्षेपण किया गया था। इसने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। इसके बाद छह अगस्त, नौ अगस्त और 14 अगस्त को चंद्रयान ने चंद्रमा की अलग-अलग कक्षाओं में प्रवेश किया और धीरे-धीरे उसके पास पहुंचता गया। इसरो ने बताया लैंडर को अलग करने के बाद उसे डीबूस्ट (धीमा करने की प्रक्रिया) करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिससे इसे एक ऐसी कक्षा में स्थापित किया जा सके जहां पेरिल्यून (चंद्रमा का निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा का सबसे दूर बिंदु) 100 किलोमीटर है। यहीं से 23 अगस्त को चंद्रयान की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा।
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