जम्मू और कश्मीर के मल्टीप्लेक्स मालिकों द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा, 'सिनेमा हॉल उसके मालिक की निजी संपत्ति है। मालिक के पास ऐसे नियमों और शर्तों को तब तक तय करने का अधिकार है, जब तक कि यह सार्वजनिक हित, सुरक्षा और कल्याण के खिलाफ न हो।'
जलेबी खाकर सीट में हाथ पोंछ दिया तब?
पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि सिनेमा हॉल कोई जिम या पौष्टिक भोजन की जगह नहीं है बल्कि मनोरंजन की जगह है। अगर कोई जलेबी या तंदूरी चिकन हॉल के अंदर लाता है तो मालिक को यह तय करने का अधिकार है कि उसका हॉल गंदा न हो क्योंकि लोग खाकर अगर हाथ सीट में पोंछ सकते हैं। ऐसे में खराब हुई सीट का खर्चा कौन देगा।
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में दी थी यह दलील
याचिकाकर्ता ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में दलील दी थी कि सिनेमाघरों के अंदर पौष्टिक भोजन नहीं परोसा जाता है और जम्मू-कश्मीर (विनियमन) नियम 1975 बाहर का खाना लाने पर रोक नहीं लगाता है। उन्होंने आगे तर्क दिया था कि रोक के कारण, फिल्म देखने वालों को थिएटर के अंदर ज्यादा दाम पर भोजन खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है।
Source: digital media
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