वे सेना के विमान से रवाना हुईं। खबरों के मुताबिक उनकी बहन रेहाना भी साथ हैं। वे बंगाल के रास्ते दिल्ली पहुंच गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका विमान गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतर गया है। उसके बाद वे लंदन, फिनलैंड या दूसरे देश जा सकती हैं।
बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने कहा, "हम अंतरिम सरकार बनाएंगे, देश को अब हम संभालेंगे। आंदोलन में जिन लोगों की हत्या की गई है, उन्हें इंसाफ दिलाया जाएगा।"
इससे पहले पड़ोसी देश श्रीलंका में आर्थिक संकट के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की सरकार के खिलाफ हिंसक आंदोलन हुआ था। जुलाई 2022 में ऐसी स्थिति बनी थी। लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर थे और राष्ट्रपति भवन में घुस गए थे।
बांग्लादेश सत्ता परिवर्तन के 5 सबसे बड़े अपडेट
प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास में दाखिल हुए। तोड़फोड़ और आगजनी की।
राजधानी ढाका में 4 लाख लोग सड़कों पर हैं, जगह-जगह तोड़फोड़ की जा रही है।
पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में सोमवार को 6 लोग मारे गए। प्रदर्शनकारियों ने 2 हाईवे पर कब्जा किया। अब तक 300 लोगों की जान गई है। इनमें ज्यादातर छात्र हैं।
BSF ने भारत-बांग्लादेश पर अलर्ट बढ़ा दिया है।
आर्मी ने देश की प्रमुख पार्टियों के नेताओं के साथ बैठक की है। 18 सदस्यीय अंतरिम सरकार प्रस्तावित की गई है। सेना इस सरकार को बनाएगी।
भारत ने बांग्लादेश जाने वाली सभी ट्रेनें रद्द कर दी हैं।
शेख हसीना के बेटे ने देश के सुरक्षाबलों से आग्रह किया था कि वे संभावित तख्तापलट के प्रयासों को सफल नहीं होने दे। बता दें कि, अभी तक बांग्लादेश सरकार के खिलाफ जारी इस प्रदर्शन में अब तक कम से कम 300 लोगों की मौत हो चुकी है।
क्या है पूरा मामला ?
बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रही है। इन प्रदर्शकारी को हटाने के लिए वहां की पुलिस ने आसूं गैस छोड़ी और स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। इसको मद्देनजर रखते हुए शेख हसीना की सरकार ने अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की है। पिछले महीने शुरु हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पहली बार सरकार ने ये कदम उठाया है।
बांग्लादेश में छात्र सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग को लेकर एक महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे है। छात्रों के इस आंदोलन में पहले भी हिंसा भड़क चुकी है और अब तक देश भर में कम से कम 300 लोगों की मौत हो चुकी है। वहां की मीडिया की मानें तो रविवार को प्रदर्शनारियों की भीड़ लाठी वगैरह लेकर पुहंची थी। इसके अलावा कई स्थानों व प्रमुख शहरों में भी सड़क पर प्रदर्शनकारी और पुलिस कर्मियों में आमना-सामना हुआ। प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख राजमार्गों को ब्लॉक कर दिया। पुलिस के साथ-साथ इस झड़प में सत्तारुढ अवामी लीग के समर्थक भी थे, जिनसे प्रदर्शनकारियों का आमना-सामना हुआ। प्रदर्शनकारियों में छात्रों के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी द्वारा समर्थित कुछ समूह भी शामिल है।
प्रदर्शनकारियों ने टैक्स और बिल भुगतान न करने की अपील की है और साथ ही रविवार को काम पर न जाने की अपील की थी. प्रदर्शनकारियों ने रविवार को खुले कार्यालयों और प्रतिष्ठानों पर भी हमला किया, जिसमें ढाका के शाहबाग इलाके में एक अस्पताल, बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी भी शामिल है।प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि ढाका के उत्तरा इलाके में कुछ कच्चे बम विस्फोट किए गए और गोलियों की आवाज सुनी गई। वहां की मीडिया की माने तो, प्रदर्शनकारी ने कई गाड़ियों में आग भी लगा दी। ढाका के मुंशीगंज जिले के एक पुलिसकर्मी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "पूरा शहर युद्ध के मैदान में बदल गया है।" विरोध करने वाले नेताओं ने आंदोलनकारियों से खुद को बांस की लाठियों से लैस करने का आह्वान किया था, क्योंकि जुलाई में विरोध प्रदर्शन के पिछले दौर को पुलिस ने बड़े पैमाने पर कुचल दिया था।
ऐसे में आइए जानते हैं कि शेख हसीना का राजनैतिक इतिहास क्या रहा है।
शेख हसीना के पूरे परिवार की हत्या कर दी गई थी,
शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को ढाका में हुआ था। उनके पिता बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान थे। हसीना अपने घर की सबसे बड़ी बेटी हैं। उनका शुरुआती जीवन ढाका में गुजरा है। एक छात्र नेता के रूप में उन्होंने राजनीति में कदम रखा था। शेख हसीना यूनिवर्सिटी ऑफ ढाका में भी स्टूडेंट पॉलिटिक्स में सक्रिय रहीं। लोगों से प्रशंसा मिलने के बाद हसीना ने अपने पिता की आवामी लीग के स्टूडेंट विंग को संभाला था। पांर्टी संभालने के बाद शेख हसीना बुरे दौर से गुजरीं जब उनके माता-पिता और 3 भाईयों की हत्या कर दी गई थी। यह बात साल 1975 की है। इस दौरान सेना ने बगावत कर दी थी और हसीना के परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इस लड़ाई में हसीना के पिता-मां और 3 भाईयों की हत्या कर दी गई। लेकिन हसीना, उनके पति वाजिद मियां और छोटी बहन की जान बच गई थी। पिता की हत्याके बाद भारत में ली थीशरण घरवालों के जाने के बाद शेख हसीना कुछ समय के लिए जर्मनी चली गईं थीं। शेख हसीना के भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से अच्छे रिश्ते थे। जर्मनी के बाद इंदिरा गांधी ने शेख हसीना को भारत बुलाया और फिर वह कुछ सालों तक दिल्ली में रहीं। इसके बाद 1981 में शेख हसीना अपने वतन बांग्लादेश वापस लौंटी। बांग्लादेश जाने के बाद शेख हसीना से वापस अपनी पार्टी ज्वॉइन की और कार्यभार संभाला। अपने कार्यकाल में उन्होंने पार्टी में कई बदलाव किए। शेख हसीना ने 1968 में भौतिक विज्ञानी एम. ए. वाजेद मियां से शादी की थी। जिससे उनका एक बेटा सजीब वाजेद और बेटी साइमा वाजेद हैं। लागातार 4 बार प्रधानमंत्री बन चुकी हैंशेख हसीना शेख हसीना वाजेद जनवरी 2009 से बांग्लादेश का प्रधानमंत्री पद संभाले हुई थीं। इस बीच आ रही उनके इस्तीफे के खबरों से सब हैरान हैं। उन्होंने 1986 से 1990 तक, और 1991 से 1995 तक, बतौर विपक्ष की नेता काम किया। वह 1981 से अवामी लीग (AL) का नेतृत्व कर रही हैं। उन्होंने जून 1996 से जुलाई 2001 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। 2009 में उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली। 2014 में उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया। उन्होंने 2018 में फिर से जीत दर्ज की और चौथे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बनीं थीं। पहली बार कब प्रधानमंत्री बनीं शेख हसीना शेख हसीना ने 1996 से 2001 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा किया और वह स्वतंत्रता के बाद से पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली देश की पहली प्रधानमंत्री भी बनीं। इस कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भारत सरकार के साथ गंगा नदी पर 30 साल के जल बंटवारे की संधि पर भी हस्ताक्षर किए थे। साल 2001 के आम चुनावों में शेख हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा। लेकिन 2008 में वह प्रचंड बहुमत के साथ एक बार फिर बांग्लादेश की सत्ता में लौट आईं। वर्ष 2004 में हसीना की रैली में ग्रेनेड विस्फोट के जरिए उनकी हत्या का प्रयास हुआ, जिसमें वह बच गईं। 2009 में सत्ता में आने के तुरंत बाद, हसीना ने 1971 के युद्ध अपराध मामलों की सुनवाई के लिए एक ट्रिब्यूनल गठित किया। ट्रिब्यूनल ने विपक्ष के कुछ हाई-प्रोफाइल नेताओं को दोषी ठहराया, जिससे हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो
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