Ayodhya Ram Mandir के प्रवेश द्वार से उठा पर्दा, सामने आई 6 मनमोहक तस्वीरें

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Ayodhya Ram Mandir के प्रवेश द्वार से उठा पर्दा, सामने आई 6 मनमोहक तस्वीरें

Ram Mandir Inauguration: अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। उससे पहले गुरुवार शाम को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर के प्रवेश द्वार की कुछ तस्वीरें शेयर की है।

ट्रस्ट ने बताया है कि प्रवेश द्वार पर चार मूर्तियों को स्थापित किया गया है।
गुलाबी रंग के बलुआ पत्थरों से किया गया मूर्तियों का निर्माण
ट्रस्ट ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रवेश द्वार पर आज गज (हाथी), सिंह, हनुमान जी और गरुड़ जी की मूर्तियां स्थापित की गईं हैं। ये सभी मूर्तियां राजस्थान के ग्राम बंसी पहाड़पुर के हल्के गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर से बनी हैं।

ट्रस्ट अक्सर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर राम मंदिर से जुड़ी जानकारियों और तस्वीरों को शेयर करता रहता है। इससे पहले ट्रस्ट ने सुबह भव्य सिंहद्वार की तस्वीर शेयर की थी।

161 फीट ऊंचा होगा राम मंदिर

ट्रस्ट के मुताबिक, राम मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। इसकी लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट रहेगी। मंदिर तीन मंजिला रहेगा, जिसमें से प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में 392 खंभे और 44 द्वार भी होंगे।
मंदिर में होंगे 5 मंडप

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप और प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा। मंदिर में 5 मंडप होंगे- नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप। मंदिर के खंभों और दीवारों में देवी-देवता और देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।

सिंहद्वार से होगा मंदिर में प्रवेश

ट्रस्ट ने बताया कि मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा। दिव्यांगजन और बुजुर्गों के लिए मंदिर में रैम्प और लिफ्ट की भी व्यवस्था की जाएगी। चारों दिशाओं में मंदिर की कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट होगी। मंदिर के आयताकार परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया जाएगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।

राम मंदिर के नजदीक सीताकूप को होगा निर्माण

राम मंदिर के नजदीक पौराणिक काल का सीताकूप का भी निर्माण किया जाएगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और देवी अहिल्या को समर्पित होंगे। मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है, जिसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है।


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