क्या सरकार जबरदस्ती ले सकती हैं आपकी जमीन, इस मुद्दे पर SC ने सुनाया बड़ा फैसला

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क्या सरकार जबरदस्ती ले सकती हैं आपकी जमीन, इस मुद्दे पर SC ने सुनाया बड़ा फैसला

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने एक अहम फैसले में कहा कि अगर किसी व्यक्ति को संपत्ति के अधिकार से वंचित करने से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई तो निजी संपत्तियों का अनिवार्य अधिग्रहण असंवैधानिक होगा।

साथ ही शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य और उसकी मशीनरी द्वारा उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता तो निजी संपत्तियों के अधिग्रहण के बदले मुआवजे के भुगतान की वैधानिक योजना भी उचित नहीं होगी।

कोलकाता नगर निगम की अपील खारिज कर दी

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कोलकाता नगर निगम की अपील खारिज कर दी। शहरी निकाय ने कोलकाता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ के उस फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष कोर्ट की शरण ली थी, जिसमें एक पार्क के निर्माण के लिए शहर के नारकेलडांगा नॉर्थ रोड पर एक संपत्ति के अधिग्रहण को रद्द कर दिया था।

अधिग्रहण पर आपत्तियों को सुनना राज्य का कर्तव्य

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नगर निगम के पास अनिवार्य अधिग्रहण के लिए एक विशिष्ट प्रविधान के तहत कोई शक्ति नहीं है। शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 300ए के तहत भूमि मालिक को प्रक्रियात्मक अधिकार प्रदान किए जाते हैं। राज्य का यह कर्तव्य है कि वह संबंधित व्यक्ति को सूचित करे कि वह उसकी संपत्ति का अधिग्रहण करना चाहता है। साथ ही अधिग्रहण पर आपत्तियों को सुनना भी राज्य का कर्तव्य है।
जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि अनुच्छेद 300ए भूमि मालिकों को सात अधिकार देता है. उसमें राज्यों के कर्तव्य भी बताए गए हैं. ये इस प्रकार हैं:

1. नोटिस का अधिकार: राज्य को भूमि मालिक को यह सूचित करना होगा कि वह उसकी संपत्ति को अधिग्रहीत करने का इरादा रखता है.

2. सुनवाई का अधिकार: अधिग्रहण के खिलाफ आई आपत्तियों को सुनना राज्य का कर्तव्य है.

3. तर्कसंगत निर्णय का अधिकार: भूमि अधिग्रहण पर अपने फैसले की जानकारी देना राज्य का कर्तव्य है.

4. अधिग्रहण केवल सार्वजनिक उद्देश्य के लिए: राज्य को यह दिखाना होगा कि भूमि का अधिग्रहण सार्वजनिक उद्देश्य के लिए है.

5. उचित मुआवजे का अधिकार: जिसकी भूमि ली जा रही है, उसका पुनर्वास करना राज्य का कर्तव्य है.

6. कुशल आचरण का अधिकार: अधिग्रहण की प्रक्रिया को कुशलतापूर्वक और निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरा करना राज्य का कर्तव्य है.

7. निष्कर्ष का अधिकार: अधिग्रहण की कार्यवाही का अंतिम निष्‍कर्ष निकलना चाहिए.

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