उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार महमूद खान अचकजई को राष्ट्रपति चुनाव में मात दी है. जरदारी पाकिस्तान की एक मात्र शख्सियत हैं जो दोबारा राष्ट्रपति बने हैं.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष जरदारी ने आसानी से राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर ली. संसद के दोनों सदनों के अलावा उन्हें तीन प्रांतों में भी पूर्ण बहुमत हासिल हुआ. आसिफ अली जरदारी को जहां 411 वोट हासिल हुए. वहीं, उनके प्रतिद्वंद्वी मोहम्मद खान अचकजई को सिर्फ 181 वोटों से ही संतोष करना पड़ा. अपनी पत्नी और मुल्क की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजरीर भुट्टो की हत्या के बाद उन्हें एक दशक तक जेल में रहना पड़ा.
राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जरदारी को बधाई संदेश भेजा है. शहबाज ने कहा कि उन्हें बात की उम्मीद है जरदारी साहब अपने संवैधानिक कर्तव्यों का परिश्रम और प्रतिबद्धता के साथ निर्वहन करेंगे.
आसिफ अली जरदारी इससे पहले सितंबर 2008 से 2013 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रह चुके हैं. वह पाकिस्तान के अकेले राष्ट्रपति हैं जो लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए थे. बेनजीर भुट्टो की सरकार में उन्होंने कई अहम जिम्मेदारियां संभाली थी. इस दौरान उन पर कई गंभीर आरोप भी लगाए गए और सरकार के गिरने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. भ्रष्टाचार और हत्या के आरोप में वे 11 सालों तक जेल में रहे. हालांकि इस दौरान उन पर कोई भी आरोप साबित नहीं हो सके.
मुल्क के नए राष्ट्रपति जरदारी पाक के बड़े सियासी खानदान से ताल्लुक रखते हैं. वह पाक के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के दामाद हैं. उनके बेटे बिलावल अली भुट्टो भी पाक के विदेश मंत्री का पद संभाल चुके हैं. इस समय उनकी पार्टी पीपीपी गठबंधन सरकार में शामिल है.
आसिफ पहली बार 2008 में मुल्क के राष्ट्रपति बने थे. उस समय पाकिस्तानी मीडिया ने उनकी खूब आलोचना की थी. जरदारी को मिस्टर टेन परसेंट प्रेसिडेंट कहा जाने लगा. जरदारी पर आरोप था कि किसी भी सरकारी परियोजना की मंजूरी के लिए 10 फीसदी कमीशन की मांग करते थे.
एक अमीर सिंधी आदिवासी नेता हकीम अली जरदारी के बेटे आसिफ अली जरदारी का जन्म 26 जुलाई, 1955 को सिंध प्रांत के नवाबशाह में हुआ था। वे कराची में पले-बढ़े। उन्होंने सेंट पैट्रिक स्कूल से पढ़ाई की। जरदारी ने शादी से पहले ही राजनीति में एंट्री ले ली थी लेकिन इसमें वे बुरी तरह से असफल रहे।
बाद में राजनीति में सफ़लता हाथ लगी
इसके बाद जरदारी राजनीति छोड़ रियल एस्टेट में काम करने लगे। साल 1987 में जरदारी का बेनजीर भुट्टो संग विवाह हुआ। इस विवाह ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। कहा जाता है कि सगाई से सिर्फ 5 दिन पहले बेनजीर-जरदारी की मुलाकात हुई थी। इतना ही नहीं बेनजीर, जरदारी से 3 साल बड़ी भी थीं।
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