एग्जाम से पहले माता-पिता और बच्चों को PM मोदी का गुरु मंत्र, पढ़ें भाषण की 10 बड़ी बातें

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एग्जाम से पहले माता-पिता और बच्चों को PM मोदी का गुरु मंत्र, पढ़ें भाषण की 10 बड़ी बातें

Pariksha Pe Charcha 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोर्ड एग्जाम से पहले छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को संबोधित किया. उन्होंने बच्चों को गुरु मंत्र तो माता-पिता और शिक्षकों को एग्जाम से पहले बच्चों के साथ किस तरह पेश आना चाहिए इस बात पर चर्चा की.

साथ ही अभिभावकों से बच्चों के साथ किस तरह का बरताव नहीं करना चाहिए ये भी बताया. चलिए आपको बताते हैं पीएम मोदी के संबोधन की 10 बड़ी बातें.

पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

पीएम मोदी ने बच्चों को सलाह देते हुए कहा कि तनाव को सभी स्विच ऑफ या खत्म नहीं किया जा सकता है. हमें इससे लड़ना आना चाहिए. किसी भी तरह का दबाव सहने में हमे सक्षम बनना होगा. बच्चों को विश्वास होना चाहिए कि दबाव बनता रहता है, इससे निपचने के लिए खुद को तैयार करना होगा.
पीएम मोदी ने कहा कि एगर जीवन में चुनौतियां न हों तो जीवन प्रेरणाहीन और उत्साहहीन हो जाता है. प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं, लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए. बच्चों को बिना प्रेरणा के सफलता नहीं मिल सकती है.
दबाव इतना भी नहीं होना चाहिए कि उसका असर किसी की क्षमताओं पर पड़े. हमें चरम स्तर तक नहीं बढ़ना चाहिए, बल्कि किसी भी प्रक्रिया में क्रमिक विकास होना चाहिए.
अपने दोस्तों से कभी कॉम्पिटिशन नहीं रखना चाहिए. आपके केवल खुद से कॉम्पिटिशन करना चाहिए. अपने दोस्त से द्वेष करने की जरूरत नहीं है. असल में वो आपके लिए प्रेरणा बन सकता है. अगर हम अपनी मानसिकता को नहीं बदलते हैं तो हम अपने से तेज तरार व्यक्ति को सभी अपना दोस्त नहीं बना पाएंगे.
बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को दूसरे बच्चों का उदाहरण देते रहते हैं. माता-पिता को ये काम करने से बचना चाहिए. हमने यह भी देखा है कि जो माता-पिता अपने जीवन में बहुत सफल नहीं रहे हैं, उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है या वे अपनी सफलताओं और उपलब्धियों के बारे में दुनिया को बताना नहीं चाहते हैं, वे अपने बच्चों का रिपोर्ट कार्ड बनाते हैं ताकि जब भी किसी से मिलें तो उन्हें अपने बच्चों की कहानी सुना सकें.
माता-पिता, शिक्षकों या रिश्तेदारों की ओर से समय-समय पर नकारात्मक तुलना की जाने वाली 'रनिंग कमेंट्री' छात्र के मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. यह फायदे से ज्यादा नुकसान करता है. इसलिए, हमें छात्रों के साथ उचित और हार्दिक बातचीत के माध्यम से मुद्दों का समाधान सुनिश्चित करना चाहिए, न कि शत्रुतापूर्ण तुलनाओं और बातचीत के माध्यम से उनके मनोबल और आत्मविश्वास को कम करना चाहिए.
शिक्षकों और छात्रों के बीच का रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि छात्रों को लगे कि यह 'विषय-संबंधी बंधन' से परे कुछ है. ये बंधन और गहरा होना चाहिए. यह रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि छात्र अपने तनावों, समस्याओं और असुरक्षाओं पर अपने शिक्षकों से खुलकर चर्चा कर सकें. जब शिक्षक अपने छात्रों की बात अच्छी तरह से सुनेंगे और उनके मुद्दों को पूरी ईमानदारी से संबोधित करेंगे, तभी छात्र आगे बढ़ेंगे.
जब किसी भी शिक्षक के मन में यह विचार आता है कि वह छात्र का तनाव कैसे दूर करें? पहले दिन से लेकर परीक्षा तक आपका और छात्र का रिश्ता बेहतर बना रहना चाहिए, तभी शायद परीक्षा के दौरान तनाव नहीं होगा. जिस दिन शिक्षक पाठ्यक्रम से आगे बढ़ेंगे और छात्रों के साथ संबंध स्थापित करेंगे, वे अपनी छोटी-छोटी समस्याओं के बारे में भी आपसे अपने विचार साझा करेंगे.
परीक्षा के तनाव का समाधान छात्रों के साथ-साथ पूरे परिवार और शिक्षकों को मिलकर करना चाहिए. अगर जीवन में चुनौती और प्रतिस्पर्धा न हो तो जीवन प्रेरणाहीन और चेतनाशून्य हो जाएगा. इसलिए प्रतिस्पर्धा तो होनी ही चाहिए, लेकिन स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी होनी चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा कि आपमें से बहुत सारे छात्र मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते होंगे. कुछ लोग होंगे जिन्हें घंटों तक मोबाइल फोन की आदत हो गई होगी. मोबाइल जैसी चीज जिसे रोजमर्रा देखते हैं उसे भी चार्ज करना पड़ता है. अगर मोबाइल को करना पड़ता है तो इस शरीर को करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए.

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