"7 दिनों में पूरे देश में लागू होगा CAA" केंद्रीय मंत्री का ऐलान, जानिए क्या हैं CAA

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"7 दिनों में पूरे देश में लागू होगा CAA" केंद्रीय मंत्री का ऐलान, जानिए क्या हैं CAA

कोलकाता: केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने दावा किया है कि मोदी सरकार अगले सात दिनों में पूरे देश में नागरिकता (संशोधन) कानून या सीएए लागू करने जा रही है। बनगांव से भाजपा के लोकसभा सांसद शांतनु ठाकुर ने बीते रविवार को तृणमूल कांग्रेस के गढ़ पश्चिम बंगाल में इस बात का ऐलान किया।
समाचार वेबासाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार शांतनु ठाकुर ने दक्षिण 24 परगना में आयोजित एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए कहा, 'अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हो गया और अगले सात दिनों के भीतर सीएए लागू किया जाएगा। ये मेरी गारंटी है कि सीएए सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू होगी।"


सीएए कानून मोदी सरकार द्वारा लाए गए विवादास्पद कानूनों में शामिल किया जाता है। सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रताड़ित होकर आये गैर-मुस्लिम प्रवासियों मसलन हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता प्रदान करना है।

दिसंबर 2019 में संसद द्वारा सीएए पारित होने और बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। पिछले साल 27 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था।

कोलकाता में पार्टी की एक बैठक को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि सीएए को लागू करना भाजपा की प्रतिबद्धता है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सीएए का विरोध कर रही है। भाजपा ने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सीएए को प्रमुख मुद्दा बनाया था। बंगाल भाजपा नेता इसे वह महत्वपूर्ण मुद्दा मानते हैं, जिसके कारण पार्टी की साख बंगाल में मजबूत हुई है।

वहीं संसद से सीएए कानून पारित किए जाने के बाद देशभर में हुए विरोध प्रदर्शन या पुलिस कार्रवाई के दौरान कम से सौ से अधिक लोगों की जान चली गई है।

गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर, 2021 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये कुल 1,414 गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान की गई है। इन सभी को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत भारत का नागरिक बनाया गया है।

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