Feroze Gandhi ने जब 16 साल की Indira को कर दिया था प्रपोज, लेकिन इंदिरा की मां ने इस वजह से कर दिया था मना
साल 1937 में इंदिरा गांधी का दाखिला ऑक्सफोर्ड के समरविले कॉलेज में हुआ था। ऑक्सफोर्ड को चुनने का कारण फिरोज का इंगलैंड में मौजूद होना भी था। फिरोज गांधी भारत से ही इंदिरा को जानते थे।इंदिरा जब 16 साल की थी फिरोज ने तब ही उन्हें शादी के लिए प्रपोज कर दिया था। लेकिन इंदिरा की मां कमला नेहरू ने मना कर दिया क्योंकि शादी के लिहाज से उनकी बेटी की उम्र बहुत कम थी। फिरोज के लिए इंदिरा उनके प्रिय पुरुष नेहरू की बेटी थीं। फिरोज नेहरू के आदर्शों से भी उतने ही प्रभावित थे जितने उनकी बेटी से।
फिरोज नेहरू परिवार के प्रति इतने आसक्त हो गए थे कि उनकी बुआ डॉ. कमिसारियत ने उन्हें इंग्लैंड भेजने का फैसला कर लिया। उन्होंने यह सोच कर फिरोज के लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई का खर्च उठाने की हामी भरी कि उससे कम से कम नेहरू खानदान के प्रति उनके लगाव से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन विडंबना यह रही कि इंदिरा और फिरोज इसी समय एक-दूसरे के सबसे अधिक नजदीक थे।
इंदिरा के इंग्लैंड पहुंचने से पहले
पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड पहुंचने से पहले भी इंदिरा और फिरोज की विदेश में मुलाकात हुई थी। दरअसल, अपने अंतिम वर्षों में कमला नेहरू अक्सर बीमार रहती थीं और उन्हें इलाज के लिए स्विट्जरलैंड के एक सेनेटोरियम में ले जाया जाता था। 1935 की शुरुआत में जब कमला नेहरू का स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ा, तो उन्हें सुभाष चंद्र बोस उन्हें जर्मनी के बेडेनवीलर ले गए। उनके साथ इंदिरा भी जर्मनी गई थीं। फिरोज गांधी उस समय लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ रहे थे, वह भी कमला नेहरू को देखने पहुंचे थे। वहीं दोनों की मुलाकात हुई थी।
जब फिरोज ने सीढ़ियों पर किया प्रपोज
में जीवनीकार सागरिका घोष लिखती हैं, 'ऑक्सफोर्ड में दाखिल मिलने तक इंदिरा गाधी, फिरोज के साथ रोमांटिक रूप से जुड़ गई थीं। बरसों बाद जब राजीव की प्रेमिका के रूप में सोनिया उनसे पहली बार मिली थीं तो उन्होंने सोनिया गांधी को बताया,मैं खुद भी कभी युवा और प्यार में डूबी हुई थी।'
फिरोज ने उनसे अनेक बार शादी की पेशकश की थी मगर उन्होंने पेरिस में जाकर ही हामी भरी। समरविले में दाखिले के लिए जाते समय 1937 में वे पेरिस में फिरोज से मिलीं। फिरोज ने मोंमार्चे में सेक्रे-कोए बैसिलिका की सीढ़ियों पर इंदिरा से शादी करने का अनुरोध किया और इस बार वह मान गईं।
विदेश में क्रांति
एक तरफ इंदिरा ऑक्सफोर्ड की ग्रेजुएट बनकर अपने पिता की उम्मीदों पर खरी उतरने की कोशिश कर रही थीं। वहीं दूसरी तरफ लंदन में जारी गतिविधियों में फिरोज के साथ शामिल भी हो रही थीं। उन्हें खुद को आंदोलनकारी की भूमिका देखना अच्छा लगता था। फिरोज के साथ इंदिरा, इंडिया लीग की सक्रिय थीं। यह ब्रिटेन में भारत की आजादी के लिए आंदोलनरत परिवर्तनकामी संगठन था जिसके अगुआ प्रखर, चिंतनशील वी.के. कृष्ण मेनन थे जो वकील और लोकविद्वान भी थे।
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