चार जुलाई को प्रयागराज जिले से उसे रेस्क्यू किया। नुकीली जंजीरों से उसके पैरों के मांस में मवाद से भरे घाव थे। दर्द के कारण वो ठीक से चल नहीं पा रहा था। संरक्षण केंद्र में जब राजू आया तो उसके शरीर पर अंकुश की चोटों के कई निशान थे। उसके कूल्हों और पैरों पर फोड़े थे। पूंछ पर घाव था। पशु चिकित्सक टीम की मेहनत से अब उसकी हालत में सुधार है। उसकी पूंछ का घाव ठीक हो रहा है। नियमित उपचार से उसके फोड़े फुंसी भी ठीक हो रहे हैं।
राजू का दूसरा जीवन करुणा व प्रेम से भरा
वाइल्ड लाइफ के सीईओ कार्तिक सत्यनारायण बताते हैं कि राजू ने 50 वर्ष तक दर्द झेला है। उसकी आजादी दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की है। उसका यह दूसरा जीवन करुणा व स्नेह से भरा हुआ है। ताजे फल और सब्जियों की एक स्वस्थ मात्रा उसके पौष्टिक आहार को सुनिश्चित करती है। राजू अपने बाड़े में मौजूद पूल में घंटों बिताना पसंद करता है।
हैचिंग शुरू, चंबल में 105 मेहमान
मंगलवार को मगरमच्छ की हैचिंग शुरू हो गई। चंबल नदी के नंदगवां क्षेत्र में पहले दिन नदी की गोद में 105 नन्हें मेहमान पहुंचे हैं। हैचिंग शुरू होते ही वन विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। चंबल नदी के किनारे की बालू में अप्रैल में घड़ियाल के साथ मगरमच्छ की नेस्टिंग हुई थी। जंगली जानवरों से नेस्ट में अंडों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने लोहे की जाली लगाई थी। हैचिंग पीरियड शुरू होते ही जीपीएस से लोकेशन को ट्रैस कर नेस्ट से जाली हटा दी गई थी।
मंगलवार को नंदगवां क्षेत्र में मगरमच्छ की हैचिंग शुरू हुई। तीन नेस्ट में जन्मे 105 मगरमच्छ शिशु बालू पर सरकते हुए नदी में पहुंच गये। इस पल के गवाह बने वनकर्मी बेहद उत्साहित थे। बाह के रेंजर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि घड़ियाल के बाद मगरमच्छ की हैचिंग शुरू हो गई है। इसके मद्देनजर सतर्कता बढ़ा दी गई है। नन्हें मेहमानों के मूवमेन्ट और हैचिंग को लेकर निगरानी की जा रही है।
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