बलिया के हल्दी थाना क्षेत्र के गांव भरसोता निवासी सोनू कुमार सिंह पुत्र अक्षयवीर सिंह जयपुर राजस्थान की 25 राजरिफ बटालियन में राइफलमैन के पद पर तैनात था। सोनू अपने बेटे के नामकरण संस्कार में तीस दिन पहले गांव आया था। उसके अफसर ने किसी काम से किशनपुर जाने के निर्देश दिए थे। 17 नवंबर को सोनू दिल्ली जाने के लिए लखनऊ से डिब्रूगढ़-नई दिल्ली एक्सप्रेस में सवार हुआ। वहां ट्रेन में टीटीई कुपन बोरो से सीट को लेकर विवाद हुआ था। आरोप है कि जब ट्रेन बरेली जंक्शन पहुंची तो यहां भी कुपन बोरो ने उसे ट्रेन से उतार दिया। जब ट्रेन चली तो टीटीई ने कोच में धक्का दे दिया था। प्लेटफार्म पर गिरकर सोनू ट्रेन के नीचे आ गया, जिससे उसका एक पैर कट गया था। इलाज के दौरान पांच दिन बाद दूसरे पैर को भी काटना पड़ा था। बरेली जंक्शन जीआरपी इंस्पेक्टर विनोद कुमार ने बताया कि आरोपी टीटीई कुपन बोरो की तलाश में टीम लगी है।
हर कोई मांग रहा था सोनू के ठीक होने की दुआ
राइफलमैन सोनू कुमार सिंह के बेहतर स्वास्थ्य के लिए तमाम शहरवासी, जीआरपी, आरपीएफ और आर्मी के जवान दुआ कर रहे थे, लेकिन काम न आई। सात दिन आर्मी अस्पताल में जिंदगी के लिए लड़ा। बुधवार को जंग हार गया।
परिवार को उम्मीद थी, रात की रात को डॉक्टर उसे आईसीयू से प्राइवेट में शिफ्ट करेंगे। पत्नी अर्चना सिंह भी बुधवार को बलिया से आने वाली थी। मगर, डाक्टरों ने कहा, जब सोनू प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट हो जाए तो परिवार को बुलाना। मगर, शाम को सोनू हमेशा के लिए ही दुनिया छोड़कर चला गया। सोनू के भाई जितेंद्र कुमार सिंह सीआरपीएफ में जवान हैं। आर्मी अस्पताल में वहीं सोनू की देखभाल कर रहे थे। जब जितेंद्र को मेडिकल अफसर ने सोनू के अंतिम सांस लेने की जानकारी दी तो वह दहाड़े मारकर रो पड़े। तमाम स्टाफ भी रोने लगे।
जितेंद्र का कहना है, उसका भाई मरा नहीं है। अमर है। टीटीई ने जो किया वह मेरे और मेरे परिवार के लिए जीवन भर का जख्म दिया है। अब हम इस मामले की पैरवी करेंगे। हर हाल में आरोपी टीटीई कुपन बोरो को सजा दिलाएंगे।
सोनू ने कहा था, टीटीई ने ही उसे धकेला
मृतक जवान सोनू के भाई जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा, कई दिनों से जीआरपी के जांच अधिकारी बयान दर्ज करने को अस्पताल आ रहे थे। जब बरेली जंक्शन पर घटना हुई तो अस्पताल लाने तक मेरा भाई होश में था। जंक्शन पर जब लोगों ने पटरी से उठाकर उसे प्लेटफार्म पर लिटाया तो भाई चीख-चीखकर यही कह रहा था, उसे टीटीई ने धक्का दिया। ट्रेन पर चढ़ते समय भाई के हाथ पर टीटीई ने घूसा मारा, तभी उसका हाथ कोच हैंडल से छूटा था। उसने प्लेटफार्म पर दौड़ते हुए खुद को गिरने से रोकने का भी प्रयास किया था, लेकिन सफल नहीं हो सका।
बेटे के आने की खुशी, एक बेटे के जाने का गम
कुदरत का ऐसा खेल। जिसने खुशियां और गम दोनों ही भरसौंता के अक्षयवर सिंह के घर में दीं। जवान सोनू कुमार सिंह की पत्नी अर्चना सिंह ने 23 अक्टूबर को बेटा का जन्म दिया था। एक बेटी बड़ी है। जहां एक ओर परिवार में बेटे के आने की खुशी थी। 16 नवंबर को ही सोनू नामकरण संस्कार के बाद घर से अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने जयपुर को चला था। 17 नवंबर की सुबह परिवार को सोनू के साथ हुई घटना की सूचना मिली। सात दिन परिवार वाले अस्पताल में सोनू के स्वस्थ होने का इंतजार कर रहे थे। डाक्टरों ने कहा था, अगर सोनू को होश आता है, तो उसे प्राइवेट में शिफ्ट करेंगे। मगर कुदरत ने ऐसा परिवार को गम दिया, जो अब ताउम्र रुलाएगा।
न्यायपालिका, सेना पर मुझे पूरा भरोसा
फौजी सोनू के भाई जितेंद्र ने मीडिया को बताया- उसका तो भाई ही गया है। सेना का तो वह सब कुछ था। सेना ने एक अपना जवान खोया है। मुझे सेना पर पूरा भरोसा है। सोनू को इंसाफ मिलेगा। मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है, न्याय अवश्य मिलेगा। सेना के अधिकारी पूरा सहयोग कर रहे हैं। जीआरपी के अधिकारी भी रोज ही अस्पताल में आकर हाल जानते थे।
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