हिट रहा Digital Rupee, लॉन्च के पहले दिन ही बंपर 275 करोड़ रुपये का लेन-देन!
इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल रहने पर आरबीआई दूसरे थोक लेनदेन में भी सीबीडीसी के उपयोग की मंजूरी दे सकता है. जो कि एक बड़ा कदम होगा. कई फेज में ये पायलट प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया जाएगा और सभी खामियों को दूर करने के बाद हर किसी को इस करेंसी के इस्तेमाल की इजाजत मिल सकती है.
डिजिटल करेंसी होगी सुपरहिट!
भारत में फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ही डिजिटल करेंसी (Digital Currency) का इस्तेमाल किया जा रहा है. कई फेज में ये पायलट प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया जाएगा और सभी खामियों को दूर करने के बाद हर किसी को इस करेंसी के इस्तेमाल की इजाजत मिल सकती है. शुरुआत में जिन 9 बैंकों को इसमें हिस्सा लेने की मंजूरी मिल है उनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC बैंक शामिल हैं. पहले दिन कुल 275 करोड़ के ट्रांजेक्शंस को एक अच्छी शुरुआत बताया जा रहा है और अनुमान है कि आने वाले दिनों में डिजिटल करेंसी अपनी जगह स्थापित करने में कामयाब रहेगी. साथ ही सरकार जिस मकसद के साथ इसे लागू करना चाहती है वो भी पूरा होने की भरपूर संभावना है.
अक्टूबर में आरबीआई ने एलान किया था कि वो डिजिटल करेंसी के विशेष उपयोग के लिए शीघ्र ही एक पायलट प्रोजेक्ट लाएगा. इसके अलावा RBI ने CBDC पर एक कॉन्सेप्ट नोट भी जारी किया था जो डिजिटल करेंसी के बारे में जागरुकता पैदा करने के मकसद से लाया गया था. CBDC के बारे में सबसे पहला ऐलान इस साल की शुरुआत में बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था. उन्होंने ही ये जानकारी दी थी कि RBI इसी साल ई-रुपया लेकर आएगा. भुगतान के इस वैध तरीके को बैंक खाते या नकदी में भी तब्दील किया जा सकता है.
कैसे काम करता है CBDC
पायलट प्रोजेक्ट की बात करें तो इसमें भाग ले रहे हरेक बैंक का एक डिजिटल करेंसी खाता है जिसका सीबीडीसी अकाउंट नाम है. इन खातों की देखरेख की जिम्मेदारी RBI की है. बैंकों को पहले अपने खाते से इस अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने होंगे. मिसाल के तौर पर अगर कोई एक बैंक दूसरे बैंक से बॉन्ड्स खरीदता है तो पहले बैंक के सीबीडीसी खाते से पैसे कटेंगी और दूसरे बैंक के सीबीडीसी खाते में रकम पहुंच जाएगी. साथ ही उसी दिन दोनों बैंकों के बीच डिजिटल निपटान भी हो जाएगा.
इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल रहने पर आरबीआई दूसरे थोक लेनदेन में भी सीबीडीसी के उपयोग की मंजूरी दे सकता है. कहा जा रहा है कि अभी डिजिटल लेनदेन के लिए जिस क्रिप्टोग्राफी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है उसे विकसित होने में वक्त लग सकता है. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला और पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो फिर जल्दी ही रिटेल ट्रांजेक्शंस में भी सीबीडीसी के इस्तेमाल से जुड़ा पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च करने का इरादा है. इस करेंसी के रिटेल लेनदेन में आ जाने के बाद क्रिप्टोकरेंसी को कड़ा झटका लगता सकता है क्योंकि RBI हमेशा से ही इसके विरोध में रहा है और ई-रुपया लाने की मंशा को कहीं ना कहीं क्रिप्टोकरेंसी के खतरे से निपटने के विकल्प के तौर पर ही देखा जा रहा है.
डिजिटल रुपी को UPI से जोड़ने की तैयारी