स्थानीय सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार को एक युवक की मौत के बाद तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई. कुछ दिन पहले मेले में दूसरे गुट ने युवक की पिटाई कर दी थी. घायल युवक की कल अगरतला के एक अस्पताल में मौत हो गई और जब उसका शव गंडाचेरा ले जाया गया तो इलाके में तनाव फैल गया. इसके बाद दूसरे समूहों की कुछ दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी कर दी. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है.
'चार लोग गिरफ्तार'
धलाई के जिला मजिस्ट्रेट सजु वाहिद ने कहा, "सभी चार लोग जो मौत के लिए जिम्मेदार हैं. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. जिस व्यक्ति पर हमला किया गया था उसकी शुक्रवार को मौत हो गई. शव को वापस लाया गया. कानून और व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, हमने शुक्रवार सुबह से निषेधाज्ञा 144 लागू कर दी है." उन्होंने आगे कहा कि सीआरपीएफ और टीएसआर (त्रिपुरा स्टेट राइफल्स) के जवान तैनात हैं और स्थिति अब नियंत्रण में है.
बंगाली समुदाय ने जंगल में ली शरण
सूत्रों के अनुसार, बवाल के बाद बंगाली समुदाय के लोगों ने अपना घर-बार छोड़कर जंगल में शरण ले ली है. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या मे पुलिस बल तैनात किया गया है. इस कांड की असली वजह दो गुटों में 9 जुलाई को हुई झड़प बताई जा रही है, जहां एक युवक को बचाने के लिए आगे आए आदिवासी लड़के की बंगाली गुट ने बुरी पिटाई कर दी. घायल हुए जीबी अस्पातल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया.
वहीं, शुक्रवार दोपहर में परमेश्वर रियांग के शव को घर ले जाने को लेकर इलाके में तनाव फैल गया. इस दौरान उत्तेजित आदिवासियों ने शाम बांग्ला भाषी आवासीय इलाकों पर हमला और तोड़फोड़ शुरू कर दी. कांच की बोतलों पर ईंट लगने से कई पुलिसकर्मी और बीएसएफ जवान भी घायल हो गए. एक लड़के की बंगाली गुटों ने पिटाई कर दी थी जिससे उसकी मौत हो गई. इसके बाद परमेश्वर रियांग के शव को लाने के दौरान ही बवाल मचा था, जिसमें आदिवासी समुदाय के गुटों ने बंगाली दुकानों में तोड़फोड़ की थी ,जिसमें कुछ पुलिसकर्मी और बीएसएफ जवान भी घायल हो गए थे।
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