'कानून बनाने का अधिकार संसद के पास', CAA पर इन राज्यों को अमित शाह का करारा जवाब

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'कानून बनाने का अधिकार संसद के पास', CAA पर इन राज्यों को अमित शाह का करारा जवाब

नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA को लेकर एक बार फिर से केंद्र की भाजपा सरकार और विपक्षी दलों के बीच विवाद शुरू हो गया है। अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने CAA को लेकर जारी तमाम आशंकाओं और सवालों का जवाब दिया है।

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गृह मंत्री ने ANI को दिए इंटरव्यू में साफ कह दिया है कि CAA कानून कभी वापस नहीं लिया जाएगा। हमारे देश में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करना ये भारत का विषय है और भारत की संप्रभुता का निर्णय है, हम इससे कभी समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि CAA से इस देश के अल्पसंख्यकों या किसी और व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि CAA में किसी की नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है। यहा सिर्फ अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है।

विरोधी राज्यों को सख्त जवाब

केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल द्वारा कहा गया है कि वे अपने राज्यों में CAA लागू नहीं करेंगे। इसके बारे में सवाल पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 11 में संसद ने नागरिकता के बारे में कानून बनाने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ भारत की संसद को दिया है। यह केंद्र का विषय है, केंद्र और राज्यों का साझा विषय नहीं है। मुझे लगता है चुनाव के बाद सभी सहयोग करेंगे। शाह ने कहा कि ये नेता तुष्टिकरण की राजनीति के लिए गलत प्रचार कर रहे हैं।


NRC का CAA से कोई लेना-देना नहीं

असम में CAA के कार्यान्वयन और CAA और NRC के संबंध पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि NRC का CAA से कोई लेना-देना नहीं है। असम नहीं बल्कि देश के हर हिस्से में CAA लागू होगा। उन्होंने बताया कि कानून में सिर्फ नॉर्थ ईस्ट के वह राज्य जहां दो तरह के विशेष अधिकार दिए गए हैं, सिर्फ उन्हीं इलाकों में CAA लागू नहीं होगा। इसमें वे क्षेत्र शामिल हैं जहां इनर लाइन परमिट (ILP) का प्रावधान है और वे क्षेत्र जिन्हें संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिया गया है।

ममता बनर्जी को भी दिया जवाब

CAA अधिसूचना को लेकर पश्चिम बंगाल CM ममता बनर्जी के बयान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं ममता बनर्जी को निवेदन करना चाहता हूं कि राजनीति करने के हजारों मंच हैं। वे कृपया कर के बांग्लादेश से आए बंगाली हिंदू का अहित न करें, आप भी एक बंगाली हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने ममता बनर्जी को खुली चुनौती देते हुए कहा कि इस कानून की धारा में से एक धारा वे नागरिकता छीनने वाली बता दें, वे खौफ पैदा कर रही हैं। असम में भाजपा सरकार आने के बाद घुसपैठ पूरी तरह से बंद हो गई है। शाह ने कहा कि अगर आप(ममता बनर्जी) इतने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे के साथ तुष्टिकरण की राजनीति कर घुसपैठ होने देंगे, जो शरणार्थी आए हैं उन्हें नागरिकता देने का विरोध करेंगे तो जनता आपके साथ नहीं रहेगी।

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केंद्र ने 'अश्लील' कंटेंट को लेकर भारत में 18 स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को किया ब्लॉक👇

केन्द्र सरकार ने इंटरनेट पर 'अश्लील' कंटेट उपलब्ध कराने वाले प्लेटफॉर्म पर बड़ी कार्रवाई करते हुए ऐसे 18 OTT प्लेटफॉर्म को तुरंत प्रभाव से ब्लॉक कर दिया है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान में गुरुवार को कहा गया है कि 19 वेबसाइट्स, 10 ऐप्स (Google Play Store पर 7 और Apple App Store पर 3), और इन प्लेटफार्मों से जुड़े 57 सोशल मीडिया अकाउंट भारत में बैन कर दिए गए हैं.

सरकार ने पहले भी दी थी हिदायत

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बार-बार 'रचनात्मक अभिव्यक्ति' की आड़ में अश्लीलता और दुर्व्यवहार का प्रचार न करने के लिए प्लेटफार्मों की जिम्मेदारी पर जोर दिया है.जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि 12 मार्च को ठाकुर ने घोषणा की कि अश्लील सामग्री प्रकाशित करने वाले 18 OTT प्लेटफार्म को हटा दिया गया है.

जारी बयान में आगे कहा गया है कि हालिया निर्णय भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों और मीडिया और मनोरंजन, महिला अधिकारों और बाल अधिकारों में विशेषज्ञता वाले डोमेन विशेषज्ञों के परामर्श से सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के तहत लिया गया था.

सरकार ने की कार्रवाई

आगे कहा गया है कि इन प्लेटफार्म पर होस्ट की गई सामग्री का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अश्लील और महिलाओं को अपमानजनक तरीके से चित्रित करने वाला पाया गया. इसमें विभिन्न अनुचित संदर्भों में नग्नता और यौन कृत्यों को दर्शाया गया है, जैसे कि शिक्षकों और छात्रों के बीच संबंध, अनाचारपूर्ण पारिवारिक रिश्ते, आदि. ऐसे कंटेंट में यौन संकेत और, कुछ मामलों में, किसी भी विषयगत या सामाजिक प्रासंगिकता से रहित अश्लील और यौन रूप से स्पष्ट दृश्यों के लंबे खंड भी शामिल थे. 

विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऐसे कंटेंट को प्रथम दृष्टया आईटी अधिनियम की धारा 67 और 67ए, आईपीसी की धारा 292 और महिलाओं के अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986 की धारा 4 का उल्लंघन माना गया है.

ओटीटी ऐप्स में से एक एप को 1 करोड़ से अधिक डाउनलोड मिले, जबकि दो अन्य को Google Play Store पर 50 लाख से अधिक डाउनलोड मिले. इसके अतिरिक्त, ये OTT प्लेटफॉर्म दर्शकों को अपनी वेबसाइटों और ऐप्स की ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से ट्रेलरों, विशिष्ट दृश्यों और बाहरी लिंक को प्रसारित करने के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं. इसमें कहा गया है कि संबंधित OTT प्लेटफार्मों के सोशल मीडिया खातों पर 32 लाख से अधिक फॉलोवर्स हैं. 

बयान में कहा गया है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय लगातार बैठकों, वेबिनार, कार्यशालाओं आदि के माध्यम से आईटी नियम, 2021 के तहत स्थापित ओटीटी प्लेटफार्मों और उनके स्व-नियामक निकायों के साथ संवेदीकरण प्रयास करता है.

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