अब हेल्थ इंश्योरेंस रखने वाले लोग कहीं भी किसी भी हॉस्पिटल में कैशलेस इलाज करा सकेंगे.
अब किसी भी अस्पताल में करा पाएंगे इलाज
इसके लिए जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) ने बुधवार को कैशलेस एवरीव्हेयर मुहिम की शुरुआत की. इस मुहिम के तहत पॉलिसीहोल्डर्स को इस बात की आजादी मिलेगी कि वे किसी भी अस्पताल में अपना इलाज करा सकें. इसके साथ ही अब पॉलिसीहोल्डर्स को उनके पॉलिसी नेटवर्क से बाहर के अस्पतालों में भी कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी.
कस्टमर को होती थी ऐसी दिक्कत
अभी तक हेल्थ इंश्योरेंस रखने वाले लोगों को कैशलेस इलाज की सुविधा सिर्फ उन अस्पतालों में मिल पाती थी, जो उनकी बीमा कंपनी के नेटवर्क का हिस्सा होते थे. किसी अन्य अस्पताल में इलाज कराने पर पहले उन्हें अपने पॉकेट से पेमेंट करना पड़ता था. बाद में पॉलिसीहोल्डर उसे बीमा कंपनी के पास क्लेम करता था, जो सत्यापन के बाद पास होता था.
इस कारण शुरू की गई मुहिम
इलाज कंप्लीट होने और उसके बाद पॉलिसीहोल्डर के द्वारा क्लेम करने में ही कई बार बहुत समय लग जाता था. उसके बाद बीमा कंपनी क्लेम के सत्यापन व अन्य प्रक्रियाओं में भी समय लगाती थी. इसका मतलब होता था कि पॉलिसीहोल्डर को पॉलिसी के बाद भी इलाज के लिए कुछ समय के लिए पैसों का इंतजाम करना पड़ता था. इससे हेल्थ इंश्योरेंस का एक अहम उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता था, जो कि पॉलिसी होल्डर को बीमारियों से फाइनेंशियल सिक्योरिटी दिलाना है.
बीमा कंपनियों से परामर्श के बाद निर्णय
जीआईसी ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए कैशलेस ट्रीटमेंट के मामले में नेटवर्क की पाबंदियां हटाने का निर्णय लिया है. काउंसिल ने कैशलेस एवरीव्हेयर इनिशिएटिव की शुरुआत करने से पहले जनरल व हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के साथ परामर्श किया. उसके बाद इस मुहिम की शुरुआत का फैसला लिया गया, ताकि हेल्थ इंश्योरेंस होल्डर किसी भी अस्पताल में बिना पैसों के इंतजाम की चिंता किए बिना अपना इलाज करा सकें.
कैशलेस एवरीव्हेयर का ऐसे मिलेगा लाभ:
इमरजेंसी के मामलों में कस्टमर को भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करना होगा.
इमरजेंसी केस नहीं हुआ तो इंश्योरेंस कंपनी को भर्ती होने के 48 घंटे पहले इंफॉर्म किया जाना चाहिए.
कस्टमर के पास जो इंश्योरेंस पॉलिसी है, उसमें क्लेम एडमिसिबल होना चाहिए.
कस्टमर की पॉलिसी में कैशलेस फैसिलिटी इन्क्लूडेड होनी चाहिए.
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