आज 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो गई।
वहीं प्राण प्रतिष्ठा की पूजा के दौरान भगवान राम की मूर्ति की तस्वीर भी सामने आ चुकी है, जिसमें वह बाल स्वरूप में श्यामल पत्थर से तैयार दिख रहे हैं। मूर्ति को देख कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि रामलला की मूर्ति काली या श्यामल क्यों हैं? चलिए जानते हैं इस बारे में...
*रामलला की मूर्ति काली क्यों है?*
रामलला की मूर्ति में रामलला के माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं। राम लला के चेहरे पर भक्तों का मन मोह लेने वाली मुस्कान दिखाई दे रही है। इनकी मूर्ति का निर्माण श्याम शिला से हुआ है, जिसका रंग काला होता है। इस वजह से भी रामलला की मूर्ति श्यामल है। इस काले पत्थर को कृष्ण शिला कहा जाता है। शास्त्रों में जिस कृष्ण शिला से रामलला की मूर्ति का निर्माण हुआ है उसे बेहद खास माना जाता है।
क्यों खास है ये श्याम वर्ण शिला
जिस श्याम शिला से भगवान राम की मूर्ति बनाई गई है, उसकी आयु हजारों साल होती है। मूर्ति को जल से कोई नुकसान नहीं होगा। साथ ही कहा जा रहा है कि चंदन, रोली आदि लगाने से भी मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
*मूर्ति की खासियत*
कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर और धनुष है। कृष्ण शैली में मूर्ति बनाई गई है। रामलला की मूर्ति में पांच साल के बालक की कोमलता झलक रही है। इस मूर्ति में बालत्व, देवत्व और एक राजकुमार तीनों की छवि दिखाई दे रही है। मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। इसकी कुल ऊंचाई 4.24 फीट, जबकि चौड़ाई तीन फीट है।
रामलला की मूर्ति के ऊपर स्वास्तिक, ॐ, चक्र, गदा और सूर्य देव विराजमान हैं। रामलला के चारों ओर आभामंडल है। भगवान राम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं। मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य है। इनका दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति नीचे एक ओर भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी तो दूसरी ओर गरुड़ जी को उकेरा गया है।
नई दिल्ली: अयोध्या का भविष्य 'सोना' हुई रामनगरी की जमीन, हर साल हजारों को रोजगार, इस सेक्टर में आएगा सबसे अधिक बूम 👇
*नई दिल्ली:* राम नगरी अयोध्या का नाम इस वक्त पूरे देश और विदेश में गूंज रहा है। आज (22 जनवरी 2024) राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई। प्राण प्रतिष्ठा के मद्देनजर कई दिन पूर्व से ही अयोध्या को सजाया संवारा जा रहा था। अयोध्या में हर तरफ राम नाम के झंडे लहरा रहे हैं, गलियों में जय श्रीराम के जयकारे गूंज रहे हैं। घाट जगमग-जगमग कर रहे हैं और रामधुन से पूरी अयोध्या नगरी अलौकिक लग रही है। देश के कोने-कोने से लोग आए हुए हैं। बड़ी-बड़ी हस्तियां यहां मौजूद हैं।
राम मंदिर के निर्माण के बाद अयोध्या में काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। आर्थिक रूप से अगर देखें तो अयोध्या में संपत्ति के दाम का अब कोई पैमाना नहीं रह गया है। पिछले तीन-चार सालों में अयोध्या की संपत्ति के दामों में 10 गुना से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है। यहां की कोई संपत्ति किस रेट बिक जाए, इसका कुछ कहा नहीं जा सकता। लखनऊ-गोरखपुर हाईवे से कुछ दूर हटकर जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ बड़ी-बड़ी कंपनियां अब अयोध्या को बिजनेस हब के रूप में देख रही हैं खासतौर पर होटल बिजनेस से जुड़े कारोबारी अब यहां कारोबार जमाने की तैयारी में जुटते दिख रहे हैं। आइए जानते हैं आने वाले वक्त में अयोध्या के आर्थिक विकास की संभावना किन क्षेत्रों पर निर्भर करेगी।
अयोध्या में ‘सोना’ हुई जमीन, 80 हजार रजिस्ट्री
धार्मिक नगरी केवल अध्यात्म ही नहीं बल्कि कारोबार का भी बड़ा केंद्र बनकर उभरती है। अयोध्या और काशी ने इसे साबित कर दिया है। कभी वीरान सी रहने वाली अयोध्या आज दमक रही है। जमीनों की कीमतें आसमान छू रही हैं। मांग का आलम ये है कि केवल दो साल में 80 हजार रजिस्ट्री रामनगरी में हो गई हैं। ये सिलसिला जारी है जो दूसरी धार्मिक नगरी काशी का रिकार्ड तोड़ सकती है। इसी अवधि में काशी में 1.20 लाख रजिस्ट्री की गईं।
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अयोध्या में जिस जमीन के भाव बीघा में लगते थे, आज नोएडा और लखनऊ की तरह वर्गफुट में आ गए हैं। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 के बाद से अबतक अयोध्या में जमीन औसतन पांच से 10 गुना तक महंगी हो चुकी है। राममंदिर निर्माण पूरा होने तक यानी वर्ष 2026 तक जमीन की कीमतों में कम से कम 300 फीसदी की वृद्धि और होगी। स्टांप और पंजीयन विभाग के मुताबिक केवल दो साल में जमीन बेचने-खरीदने की होड़ ने सूरत-ए-हाल बदल दिया है। वर्ष 2022-23 में 45360 रजिस्ट्री अयोध्या में हुईं, जिससे विभाग को 177.37 करोड़ का राजस्व मिला। वहीं वर्ष 2023-24 में अबतक 34043 रजिस्ट्री हो चुकी हैं। जिससे 162.79 करोड़ रुपये का राजस्व मिल चुका है। इसी अवधि में वाराणसी ने 806 करोड़ और 628 करोड़ का राजस्व दिया।
बढ़ेगी पर्यटकों संख्या, बढ़ेगा हॉस्पिटैलिटी में रोजगार का मौका
पर्यटन विभाग के आंकड़ों के पहले जहां अयोध्या में हर साल करीब दो लाख श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए आते थे वहीं अब राम मंदिर बन जाने के बाद जानकारों का अनुमान है कि यह आंकड़ा सालाना करीब दो करोड़ तक पहुंच सकता है। जिसकी वजह से अयोध्या में हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में हर साल लगभग 20 से 30 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
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