मोहन यादव के अलावा जगदीश देवड़ा और राजेश शुक्ला उपमुख्यमंत्री होंगे. केंद्र में कृषि मंत्री रहे नरेंद्र सिंह तोमर स्पीकर होंगे.
मोहन यादव ने राजनीति की शुरुआत 1982 में उज्जैन के माधव साइंस कॉलेज से की थी. वहां वो सह-सचिव और अध्यक्ष बने. कॉलेज टाइम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े रहे. इसके अलावा मोहन यादव करीब 30 साल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं. 1993 में उन्होंने उज्जैन में ही RSS जॉइन की थी. इसके अलावा वो 2011 से 2013 तक मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के भोपाल में अध्यक्ष भी रहे हैं. इस पद को कैबिनेट मंत्री का दर्जा होता है. 2013 में विधायक बने. 2018 में फिर जीते. 2020 में जब मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार बनी तो वो सरकार में मंत्री भी बने. उच्च शिक्षा विभाग इन्हें मिला था. इस बार के चुनाव में वो उज्जैन दक्षिण से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.
मुख्यमंत्री पद के लिए नाम तय होने के बाद मोहन यादव ने कहा-
"मैं केंद्रीय नेतृत्व का, प्रदेश नेतृत्व का और कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करता हूं. मैं पार्टी का छोटा सा कार्यकर्ता हूं. ये आप लोगों को भरोसा है कि मुझे इस पद तक पहुंचा दिया. मैं ख़ुद को इस लायक नहीं समझता लेकिन आप सभी का साथ और मार्गदर्शन रहा तो पूरा प्रयास करूंगा."
मोहन यादव के अलावा मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री पद के रेस में नरेंद्र सिंह तोमर के नाम से लेकर शिवराज सिंह चौहान की पद पर वापसी तक तमाम कयास लग रहे थे. हालांकि शिवराज चुनाव से पहले और बाद में बार-बार इशारा करते रहे कि अब पार्टी, तो भी वो CM नहीं होंगे. हुआ भी वही. अब ये बड़ा सवाल है कि शिवराज जैसे बड़े नेता को पार्टी क्या ज़िम्मेदारी देगी.
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