Chandrayaan 3 vs Luna 25/Difference Between Luna 25 and Chandrayaan-3:
चंद्रयान-3 भारत का तीसरा मून मिशन है और भारत का चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग का यह दूसरा प्रयाग होगा। भारत के इस मून मिशन पर पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है। बीते 14 जुलाई को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) द्वारा चंद्रयान-3 के लॉन्च के बाद से इसकी हर गतिविधि पर दुनिया भर की नजरें गढ़ी हैं।
धरती से चांद तक इस रेस के बीच रूस ने भी अपना मून मिशन लॉन्च कर दिया है। रूस ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रूव पर अपने अंतरिक्ष यान को लैंड कराने का फैसला किया है। बता दें कि रूस अपना मून मिशन लूना-25 लॉन्च कर दिया है।
भारत के चंद्रयान-3 लैंडर विक्रम के इस महीने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। वहीं रूस ने चंद्रमा की रेस में अपना पहला लूनार लैंडिंग अंतरिक्ष यान लॉन्च कर दिया है। यह मिशन भारत द्वारा चंद्रयान-3 लूनार मिशन लॉन्च करने के चार सप्ताह बाद किया गया। दोनों देशों के यानी रूस और भारत के मून मिशन, 21 और 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने की उम्मीद है।
*47 वर्षों में चांद पर जाने का लक्ष्य*
लगभग 47 वर्षों में चांद पर अंतरिक्षयान भेजने की रूस की यह पहली कोशिश है। आपको बता दें कि रूस का मून मिशन लूना-25 का प्रक्षेपण, 1976 के बाद रूस का पहला प्रक्षेपण है। शुक्रवार को लॉन्च किये गये लूना-25 लैंडर के प्रक्षेपण के लिए, रूस के सुदूर पूर्व में वोस्तोचन कॉस्मोड्रोम में एक सोयुज रॉकेट बनाया गया था। ये जगह मॉस्को शहर से तकरीबन 5550 किमी पूर्व में है।
चार पैरों वाले इस लूनार में रोवर और लैंडर दोनों ही हैं, और इसका वजन लगभग 800 किलोग्राम है। इसको चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने की योजना है। बता दें कि लूना-25 को लूना ग्लोब लैंडर भी कहा गया है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि लूना-25 की पहले से अपेक्षित लैंडिंग तिथि 21 अगस्त तय है। कहा जा रहा है कि रूस अपने इस लूनार मिशन लूना-25 की सफलता के साथ अमेरिका और चीन के लूनार मिशन की होड़ में शामिल हो जायेगा।
*लूना-25 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान होगा*
दोनों मून मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारे जायेंगे और अगर अपने तय समय पर लूना-25 चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्व लैंड कर पाया, तो इसी के साथ लूना-25 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन जायेगा। बता दें कि चंद्रमा तक पहुंचने में लगने वाला समय रूस के मिशन के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक है। चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 384,400 किमी दूर है। रूस का लक्ष्य लगभग दस दिनों में चंद्रमा पर पहुंचने का है। आपको यह भी बता दें कि भारत और रूस दोनों ही देश के लूनार मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोंज की जायेगी। कई संभावनाओं में यह माना गया है कि यहां पानी हो सकता है।
समाचार एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस का मून मिशन चांद की ओर साढ़े पांच दिन का सफर पूरा करेगा। उस कक्ष में वह 100 किलोमीटर के कक्ष में तीन से सात दिन बिताने के बाद चांद की सतह पर उतरने को तैयार होगा। ऐसा माना जा रहा है कि चांद की सतह पर चंद्रयान-3 मिशन, रूस के लूना-25 की लैंडिंग के बाद पहुंच सकता है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि चंद्रयान-3, लूना-25 मिशन की तुलना में लंबे रास्ते से सफर कर रहा है। दरअसल इसरो द्वारा लॉन्च किया गया मून मिशन चंद्रयान-3 अपने सफर के ज़रिए पृथ्वी और चंद्रमा के कक्ष से गुरुत्वाकर्षण का लाभ लेना चाहता था। इससे चंद्रयान-3 के सफर में लगने वाला ईंधन काफी कम होगा। इसी कारण परिक्रमा में चंद्रयान-3 को अधिक समय लग रहा है।
*क्या है चंद्रयान-3 मिशन*
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का चंद्रयान-3 एक बड़े पैमाने की परियोजना है। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक लैंडर और रोवर को उतारना और एंड-टू-एंड लैंडिंग और रोविंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है। 14 जुलाई 2023 को दोपहर करीब 2 बज कर 35 मिनट पर भारत के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था।
*क्या है रूस का लूना-25 मिशन*
लूना 25 मिशन, एक रूसी लूनार लैंडर मिशन है जो 11 अगस्त, 2023 को लॉन्च कर दिया गया है, इसे लूना-ग्लोब-लैंडर के नाम से भी जाना जाता है। लूना-25 मिशन का प्राथमिक लक्ष्य ध्रुवीय मिट्टी की संरचना के साथ-साथ चंद्र ध्रुवीय बहिर्मंडल के घटक प्लाज्मा और धूल की संरचना का अध्ययन करेगा। कहा जा रहा है कि रूस चंद्रमा मिशन पर पिछले कुछ दशकों से काम कर रहा था। इस मिशन की सफलता देश के लिए एक बड़ी उपलब्द्धि साबित होगी। मालूम हो कि यूक्रेन और रूस युद्ध के बीच कई पश्चिमी देशो की अंतरिक्ष एजेंसियों ने रूस के साथ आपसी सहयोग खत्म कर दिया है।
*क्या दोनों लूनार मिशन एक दूसरे में हस्तक्षेप करेंगे?*
रॉयटर्स के मुताबिक, रोस्कोस्मोस ने कहा है कि दोनों मिशन एक-दूसरे के मिशन में हस्तक्षेप नहीं करेंगे क्योंकि उनके पास अलग-अलग लैंडिंग जोन की योजना है। रॉयटर्स के अनुसार, उनके हस्तक्षेप करने या टकराने का कोई ख़तरा नहीं है। चाँद पर दोनों देशों के मिशन के लिए पर्याप्त सतही जगह है।
चंद्रयान-3 मिशन और रूस के लूना-25 मिशन के बीच अंतर
लैंडर का डिज़ाइन
*चंद्रयान-૩* मुख्य रूप से तीन मॉड्यूल से बना है। एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (एलएम), एक प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम), और एक रोवर। चंद्रमा की सतह के रसायन विज्ञान का विश्लेषण करने के लिए रोवर वैज्ञानिक पैकेजों से संलग्न है।
वहीं लूना 25 लैंडर का आधार चार पैरों वाला है, जिसमें लैंडिंग रॉकेट और प्रणोदक टैंक लगे हैं। सौर पैनल, संचार उपकरण, ऑनबोर्ड कंप्यूटर और वैज्ञानिक उपकरण इसके एक ऊपरी डिब्बे में रखे गए हैं।
*लैंडिग का स्थान*
*चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट दक्षिणी क्षेत्र में है।*
बता दें कि लूना-25 का प्राथमिक लैंडिंग स्थान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास है। दक्षिण-पश्चिम में भी एक असुरक्षित स्थान है।
*दोनों मून मिशन के पेलोड में क्या भिन्नता है*
चंद्रयान-3 लैंडर में चंद्रमा के सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) और लैंगमुइर प्रोब (LP) जैसे पेलोड शामिल हैं, जबकि रोवर में अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) जैसे उपकरण शामिल हैं।
वहीं लूना-25 अंतरिक्ष यान आठ वैज्ञानिक उपकरणों से बनाया गया है, जिसमें गामा-रे और न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर, इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर, मास स्पेक्ट्रोमीटर और इमेजिंग सिस्टम शामिल हैं।
*लूनार मिशन की समय सीमा क्या है*
चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर का मिशन जीवन लगभग एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन) का है।
वहीं लूना-25 लैंडर का इरादा लगभग एक साल तक चंद्रमा की सतह पर रहकर रेजोलिथ और एक्सोस्फेरिक धूल और मिट्टी की कणों पर शोध करने का है।
*भारत और रूस के मून मिशन की लैंडिंग की तिथि*
नवीनतम अपडेट के अनुसार, चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान एक और कक्षा में भ्रमण प्रक्रिया से गुजरने के बाद बीते बुधवार को चंद्रमा की सतह के करीब पहुंच गया। यह 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने की उम्मीद है।
भारत का चंद्रयान-3 के लॉन्च होने के बाद, मॉस्को से 3,450 मील (5,550 किमी) पूर्व में रूस के स्पेसपोर्ट, वोस्तोचन कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किये गये लूना-25 मून लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 21 अगस्त को उतरने की उम्मीद है।
चंद्रयान-3 मिशन और रूस के लूना-25 मिशन की तुलना
हाइलाइट चंद्रयान-3 रूस का लूना-25
उद्देश्य चांद पर सुरक्षित लैंडिंग, रोवर गतिशीलता और सफल प्रयोग चांद पर ध्रुवीय रेजोलिथ की जांच
लॉन्च की तारीख 14 जुलाई 2023 11 अगस्त 2023
जगह सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र वोस्तोचन कॉस्मोड्रोम
बजट 625 करोड़ रुपये 48.5 मिलियन डॉलर
चंद्रमा पर अपेक्षित लैंडिंग तिथि 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा 21 अगस्त को चांद पर लैंडिंग करेगा
अपेक्षित समय सीमा 40 दिन
पांच दिन
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