ड्रोन बनाने के लिए सालों से कर रहे थे काम
अबान हबीब इसे बनाने के लिए सालों से काम कर रहे थे. इस ड्रोन के जरिए अनगिनत लोगों की जान बचाई जा सकती है. प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त क्षेत्रों में इसके जरिए स्वास्थ्य देखभाल के लिए जरूरी सामान आसानी से पहुंचाया जा सकता है.
अबान ने कहा, "2014 की विनाशकारी बाढ़ को देखने के बाद, मेरे दिमाग में अस्पतालों के बीच ब्लड सैंपल और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने के लिए एक समाधान विकसित करने का विचार आया."
ड्रोन ने हिमाचल प्रदेश में पहुंचाई मदद
इस ड्रोन की मदद से हिमाचल प्रदेश में की गई टेस्टिंग सफल रही हैं. ड्रोन ने 70 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए 20-25 सैटेलाइट अस्पतालों को मुख्य अस्पताल से जोड़ने का काम किया. अबान के ड्रोन की मदद से शिमला के अस्पतालों को भी चंडीगढ़ से जोड़ा गया. ड्रोन की 80 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से जल्द से जल्द चिकित्सा आपूर्ति की डिलीवरी हो सकेगी.
स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच में लाएगा बदलाव
अबान ने न केवल इस परियोजना पर व्यक्तिगत रूप से काम किया बल्कि कश्मीर के बाहर की कॉर्पोरेट संस्थाओं के साथ भी सहयोग किया. इन सहयोगों ने उनकी ड्रोन तकनीक को और विकसित करने में मदद की. यह ड्रोन आविष्कार दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच में क्रांतिकारी बदलाव लाने की अपार संभावनाएं रखता है.
अबान ने कहा, "घाटी में उसी सेवा को संचालित करने के लिए, मुझे इस पहल को शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता की जरूरत है. हम इसे एक ऐसे व्यवसाय में ले जा सकते हैं जो न केवल जीवन बचाएगा बल्कि घाटी के युवाओं के लिए अवसर भी पैदा करेगा."