बता दें कि जिलों के कुछ वार्ड सदस्यों के खिलाफ वित्तीय गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ रही थी। ऐसे में विभाग ने डीपीआरओ को लंबित योजनाओं को पूरा कराने के साथ ही पीएचईडी के हवाले करने का भी निर्देश दिया है। ध्यान रहे कि नल जल की अनेकों योजनाएं है, जो किसी न किसी कारण लंबित है। यानी लाखों खर्च के बाद योजनाओं का लाभ आमजन को नहीं मिल रहा है। जनता की शिकायतों के बावजूद प्रशासन के स्तर से योजनाओं को पूरा कराने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब सरकार ने ठोस निर्णय लेकर वार्ड सदस्यों के साथ ही स्थानीय प्रशासन पर भी एक तरह से शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है।
रिपोर्ट की समीक्षा में विभागीय निदेशक ने पाया है कि 15 वीं की राशि खर्च करने में कई जिले पीछे है। इन जिलों में 50 फीसदी भी राशि खर्च नहीं की जा सकती है। इसे खर्च पोर्टल पर इसकी एंट्री भी सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया है। पूर्व वार्ड सदस्यों द्वारा प्रभार नहीं सौंपने एवं अभिलेख उपलब्ध कराने को सरकार द्वारा गंभीरता से लिया गया है। इसका अनुपालन अति शीघ्र कराने की बात कही गई है। गौरतलब है कि जिले में प्रभार नहीं सौंपने वाले वार्ड सदस्य और सचिवों की संख्या काफी ज्यादा है। कुछ के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है, कुछ को प्रभार नहीं सौंपने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
एक टिप्पणी भेजें
0टिप्पणियाँ