बकरों की कुर्बानी न दी जाए इसके लिए जैन समुदाय ने बाजार से बड़ी संख्या में बकरों को खरीद लिया. बागपत जिले के अमीनगर सराय कस्बे का यह मामला है. जहां जैन समाज के लोगों ने बाजार में बिक्री को आये 250 बकरे खरीदकर ‘बकराशाला’ में रखा गया है. जैन समाज ने ऐसा इसिलए किया है, ताकि इन बेजुबान जानवरों को कुर्बानी देने से बचाया जा सके.
7 साल पुरानी है ये संस्था
दरअसल, बेजुबान जानवरों को बचाने की यह संस्था आज की नहीं. यह संस्था 7 साल पुरानी है. बागपत के अमीनगर सराय कस्बे में जैन समाज के लोगों ने जीव दया संस्थान की स्थापना साल 2016 में की है. इस संस्थान का प्रमुख उद्देश्य बेजुबान जीवों की रक्षा करना है. खासतौर पर बकरीद पर कुर्बानी दिए जाने वाले बकरों को बचाना है. जैन समाज के लोग भगवान महावीर स्वामी के संदेश जियो और जीने दो का पालन करते हैं.
बकरों को खरीदकर बचाई बेजुबानों की जान
बागपत जिले के इस बकराशाला में अभी 450 बकरे मौजूद हैं. बकरीद से एक दिन पहले जिन 250 बकरों को जगह-जगह कुर्बानी के लिए बिक्री को रखा गया था. उन्हें जैन समाज के लोगो ने महंगे दामों में खरीदकर न केवल इनकी जान बचाई बल्कि उन्हें ‘बकराशाला’ में संरक्षित किया है. इन सभी के गले में लाल धागे भी कुर्बानी देने वालों ने बांधे हुए थे.
उत्तर भारत की है ये इकलौती बकरशाला
5000 वर्ग फीट में बने बकराशाला में बकरों के खाने-पीने, रहने समेत पशुओं के डॉक्टरों की भी बेहतर व्यवस्था की गई है. साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. संस्था से जुड़े शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि उत्तर भारत की पहली और इकलौती बकराशाला हैं. इस संस्था का उद्देश्य केवल बेजुबान जीवों की रक्षा करना है. इसके साथ ही अधिकारियों ने कहा कि आने वाले दिनों में जानवरों ही नहीं पक्षियों की भी जान बचाई जाएगी. इसके लिए 45 मंजिला ऊंचा टावर बनाया जाएगा. इस बहुमंजिला टावर में पक्षी अपना घोसला बना कर रहेंगे.
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