रिमोट वोटिंग मशीन पर चर्चा के लिए बुलाई गई चुनाव आयोग की मीटिंग में बीजेपी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, अकाली दल, आम आदमी पार्टी, आरजेडी, डीएमके, शिवसेना, पीडीपी और जेडीयू के नेता मौजूद हैं.
दरअसल, रिमोट वोटिंग मशीन के डेमो के लिए चुनाव आयोग ने आठ नेशनल और 57 स्टेट पार्टीज को इनवाइट किया है. राजनीतिक पार्टियों को भेजे पत्र में चुनाव आयोग ने बताया है कि प्रवासियों के लिए रिमोट वोटिंग मशीन में और क्या इंप्रूव हो सकता है, इस पर चर्चा की जाएगी.
रिमोट वोटिंग मशीन के इस्तेमाल के लिए कानून में जरूरी बदलाव जैसे मुद्दों को लेकर राजनीतिक पार्टियों से जनवरी के आखिरी तक अपनी राय देने को भी कहा गया है. अगर रिमोट वोटिंग मशीन यानी RVM को इस्तेमाल की अनुमति मिलती है तो प्रवासियों को वोट देने के लिए अपने राज्य में लौटने की जरूरत नहीं होगी.
इससे चुनाव आयोग को चुनावों में वोटिंग बढ़ने की उम्मीद है. हालांकि, राजनीतिक पार्टियां इसका विरोध कर रहीं हैं.
पर विरोध क्यों?
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बताया कि ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव आयोग के रिमोट वोटिंग मशीन के प्रस्ताव का विरोध किया है, क्योंकि ये 'अधूरा' लगता है और ये कोई 'ठोस' उपाय नहीं है.
- दिग्विजय सिंह ने विपक्षी पार्टियों की मीटिंग के बाद ये बात कही. इस मीटिंग में कांग्रेस के अलावा जेडीयू, शिवसेना, सीपीआई, सीपीआई (एम), नेशनल कॉन्फ्रेंस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, पीडीपी, वीसीके, रिवॉन्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, इंडियन मुस्लिम लीग और पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल मौजूद थे.
- सीपीआई के महासचिव डी. राजा ने बताया कि सभी पार्टियां चुनाव आयोग की मीटिंग में हिस्सा लेंगी और अपनी चिंताओं को सामने रखेंगी. डी. राजा ने कहा कि बिना राजनीतिक पार्टियों को भरोसे में लिए चुनाव आयोग एकतरफा कोई फैसला नहीं ले सकता.
- दिग्विजय सिंह ने कहा, सभी राजनीतिक पार्टियां सर्वसम्मति से रिमोट वोटिंग मशीन का विरोध करेंगे, क्योंकि ये प्रस्ताव अभी अधूरा है. ये कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है. इसमें अभी राजनीतिक विसंगतियां और समस्याएं हैं.
- उन्होंने कहा, प्रवासियों की परिभाषा और प्रवासी कामगारों की संख्या को लेकर अभी कुछ साफ नहीं है, इसलिए हम सभी ने इसका विरोध करने का फैसला लिया है.
- दिग्विजय सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग ने पार्टियों को 31 जनवरी तक अपना जवाब देने को कहा है. इससे पहले 25 जनवरी को फिर मीटिंग होगी, लेकिन हमारा व्यू साफ है और वो ये कि हम रिमोट वोटिंग मशीन का सपोर्ट नहीं करते.
- सिंह ने कहा, चुनाव आयोग ने जो प्रस्ताव दिया है, वो प्रैक्टिकल नहीं है. उन्होंने 30 करोड़ प्रवासी कामगारों का आंकड़ा दिया है, जबकि इसे लेकर कोई सर्वे नहीं हुआ.
क्या है रिमोट वोटिंग मशीन?
- चुनाव आयोग के मुताबिक, रिमोट वोटिंग मशीन का प्रोटोटाइप सरकारी कंपनी मैसर्स इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने तैयार किया है. ये स्टैंडअलोन मशीन है और इसे ऑपरेट करने के लिए किसी कनेक्टिविटी की जरूरत नहीं होती.
- चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर बताया था कि अभी जो मौजूदा EVM इस्तेमाल होती है, रिमोट वोटिंग मशीन भी वैसी ही होगी. सरल शब्दों में कहा जाए तो RVM, EVM का ही अपडेटेड वर्जन है.
- रिमोट वोटिंग मशीन में रिमोट कंट्रोल यूनिट (RCU), रिमोट बैलेट यूनिट (RBU), रिमोट वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (RVVPAT), कार्ड रीडर (CCR), पब्लिक डिस्प्लेस कंट्रोल यूनिट (PDCU), रिमोट सिंबल लोडिंग यूनिट (RSLU) जैसे कंपोनेंट हैं.
पर इसकी जरूरत क्यों?
- 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 45 करोड़ से ज्यादा लोग प्रवासी थे. ये वो लोग थे जिन्होंने अलग-अलग कारणों की वजह से अपना घर छोड़ दिया था. इन प्रवासियों में आधी से ज्यादा महिलाएं थीं, जो शादी के बाद दूसरे शहर या राज्य में बस गई थीं. वहीं, ज्यादातर पुरुष ऐसे थे जिन्होंने रोजगार के लिए अपना घर छोड़ दिया था.
- अभी 2023 चल रहा है और जाहिर है कि ये आंकड़ा और बढ़ा होगा. क्योंकि 2001 में जहां 31.45 करोड़ लोग ऐसे थे जिन्होंने देश के अंदर पलायन किया था, वहीं 2011 में इनकी संख्या बढ़कर 45.36 करोड़ के पार चली गई थी.
- फिलहाल देश में ऐसा कानून नहीं है जो दूसरे राज्य में रह रहे लोगों को वोटिंग का अधिकार देता हो. पीपुल्स ऑफ रिप्रेजेंटेशन एक्ट, 1951 की धारा 20A कहती है कि वोट देने के लिए व्यक्ति को पोलिंग स्टेशन जाना होगा. जिस विधानसभा में आपका नाम दर्ज होगा, आप वहीं के पोलिंग बूथ में जाकर वोट दे सकते हैं.
- 2011 में पांच एनजीओ ने प्रवासी वोटर्स पर एक स्टडी की थी, जिसमें सामने आया था कि 60% लोग ऐसे थे जो वोट डालने के लिए अपने घर नहीं लौटे, क्योंकि उनके लिए घर लौटकर आना काफी महंगा था. भारत में दूसरे राज्यों में रह रहे ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो गरीब हैं और ऑटो-रिक्शा चलाकर या छोटे-मोटे काम करके अपना गुजर-बसर करते हैं. ऐसे में उनके लिए वोट डालने के लिए घर लौटना काफी महंगा पड़ जाता है.
- 2019 के लोकसभा चुनाव में 67.4 फीसदी वोटिंग ही हुई थी. चुनाव आयोग के मुताबिक, 30 करोड़ से ज्यादा वोटर्स ऐसे थे जिन्होंने वोट नहीं दिया था. और इसकी सबसे बड़ी वजह प्रवासी ही थे.
रिमोट वोटिंग से फायदा क्या होगा?
- इससे दो बड़े फायदे होंगे. पहला तो ये कि जो जहां है वहीं से वोट डाल सकेगा. दूसरा ये कि इससे वोटिंग प्रतिशत भी बढ़ने की उम्मीद है.
- चुनाव आयोग ने बताया कि आमतौर पर प्रवासी जहां हैं वहां वोट देने से हिचकते हैं, क्योंकि उनका उस जगह से कोई सामाजिक या भावनात्मक कनेक्शन नहीं होता. इसके अलावा लोग अक्सर अपना नाम मौजूदा विधानसभा से हटवाकर दूसरी विधानसभा में दर्ज करवाने के लिए उत्साहित नहीं होते हैं. ऐसे में रिमोट वोटिंग मशीन फायदेमंद साबित होगी.
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