इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने दूतावास के बाहर रैली भी की और स्वीडिश राजदूत को हटाने की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने दूतावास के बाहर पर्चे बांटे और पोस्टर लहराए, जिनमें अरबी और अंग्रेजी में लिखा था: ‘हमारा संविधान कुरान है. हमारा नेता अल-सद्र है. सऊदी अरब, ईरान, मोरक्को, बहरीन, यूएई और अमेरिका समेत कई देशों ने इस घटना को अपमानजनक और दुनिया के लिए खतरनाक बताया है.
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दूतावास के पास भारी संख्या में इराकी सुरक्षा बल तैनात
डेली मेल ने एक फोटोग्राफर के हवाले से बताया है कि तेजतर्रार शिया नेता मोक्तदा सद्र के समर्थक करीब 15 मिनट तक अंदर रहे और फिर सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद शांतिपूर्वक वापस चले गए. विरोध प्रदर्शनों के बाद स्टॉकहोम के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हमारे दूतावास के सभी अधिकारी और कर्मचारी सुरक्षित हैं. अब स्वीडिश दूतावास के पास भारी संख्या में इराकी सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है.
घटना के बाद तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने स्वीडन की निंदा की, जिससे स्वीडन के नाटो में जल्द शामिल होने की संभावनाएं और धूमिल हो गई हैं.एर्दोगन ने कहा कि आखिरकार हम अहंकारी पश्चिमी लोगों को सिखाएंगे कि मुसलमानों का अपमान करना विचारों की स्वतंत्रता नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक आतंकवादी संगठनों और इस्लामोफोबिया के खिलाफ दृढ़ जीत हासिल नहीं हो जाती, हम सबसे कड़े शब्दों में इसकी निंदा करते रहेंगे.
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क्या है मामला?
बता दें कि ईद-उल-अज़हा के दिन स्टॉकहोम की सेंट्रल मस्जिद के बाहर दो प्रदर्शनकारियों में से एक सलवान मोमिका ने प्रदर्शन करते हुए कुरान के पन्ने फाड़कर उनको आग के हवाले कर दिया था. इस दौरान वहां सुरक्षाबलों समेत करीब 200 लोग मौजूद थे. कुछ लोगों ने इसके विरोध में अल्लाहू अकबर के नारे भी लगाए. बताया जा रहा है कि 37 साल का सलवान कई साल पहले इराक से स्वीडन आ गया था.
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