जहरीली शराब क्या है और ये कैसे बनती है, इसे पीने से मौत क्यों हो जाती है? पूरी बात समझें

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जब जहरीली शराब शरीर में जाती है, इसके अंदर मौजूद एल्किल ग्रुप एल्डिहाइड में बदल जाता है और इससे शरीर के अंदर एक फॉर्मेल्डिहाइड या फार्मिक एसिड बनता है, जो सीधा आपके दिमाग पर असर करता है.  बिहार के सारण जिले में हाल ही में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई. हालांकि, यह कोई पहली घटना नहीं है बिहार समेत देश के तमाम राज्यों में जहरीली शराब से अक्सर मौतें होती रहती हैं. सवाल उठता है कि आखिर यह जहरीली शराब बनाई कैसे जाती है और क्या शराब बनाने वालों को यह पता होता है कि उनकी बनाई गई शराब जहरीली है. इससे भी बड़ा सवाल है कि आखिर यह शराब पीने से लोगों की मौत कैसे हो जाती है. आज इस आर्टिकल में हम आपको इन तमाम सवालों से जुड़े जवाब देंगे.

कैसे बनाई जाती है शराब

शराब बनाने के लिए दो बुनियादी प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है. इनमें पहला है फर्मेंटेशन और दूसरा है डिस्टलेशन. डिस्टलेशन यानि जो तकनीक से बनाई गई शराब, इसके जहरीले होने के चांसेज ना के बराबर होते हैं. जबकि, फर्मेंटेशन के द्वारा बनाई गई शराब कई बार जहरीली हो जाती है. देसी शराब बनाते समय में भी कई बार इसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है. फर्मेंटेशन से शराब बनाने के लिए अनाज, फल, गन्ना, महुआ, खजूर, चावल और कई तरह की स्टार्ट वाली चीजों में ईस्ट मिलाकर इन्हें फर्मेंट किया जाता है.

वहीं इसे तेजी से फर्मेंट करने के लिए ऑक्सिटॉक्सिन का भी इस्तेमाल किया जाता है. कई बार इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए इसमें नौसादर, बेसरमबेल की पत्तियां और यूरिया भी मिलाया जाता है. इन तमाम चीजों को काफी समय तक मिट्टी में डाला जाता है, इसके बाद इसे भट्टी पर चढ़ाया जाता है और इससे निकलने वाली भाप से शराब तैयार की जाती है. शराब बनाने वाले कई बार शराब को और ज्यादा नशीला बनाने के लिए इसमें मेथेनॉल भी मिलाते हैं.

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शराब जहरीली कैसे हो जाती है

अब सवाल उठता है कि आखिर शराब जहरीली कैसे होती है. दरअसल, शराब बनाने वाले को भी नहीं पता होता है कि उसकी शराब कब नशीली से जहरीली हो गई. होता यह है कि जब शराब बनाने वाले लोग इसे और ज्यादा नशीला बनाने के लिए इसमें यूरिया, ऑक्सीटॉसिन और मेथेनॉल की मात्रा मिलाते हैं और इससे एक तगड़ी नशीली शराब बनाने की कोशिश करते हैं. इस दौरान कब इन तमाम चीजों की मात्रा बढ़कर इस शराब को एथिल अल्कोहल की बजाय मेथिल अल्कोहल में बदल देती है, इन्हें पता भी नहीं चलता. जैसे ही शराब एथिल अल्कोहल की बजाय मेथिल अल्कोहल में तब्दील होती है, वह जहरीली हो जाती है. जैसे ही यह जहरीली शराब शरीर में जाती है, इसके अंदर मौजूद एल्किल ग्रुप एल्डिहाइड में बदल जाता है और इससे शरीर के अंदर एक फॉर्मेल्डिहाइड या फार्मिक एसिड बनता है, जो सीधा आपके दिमाग पर असर करता है. इसी की वजह से जहरीली शराब पीकर लोग अंधे होते हैं और कई बार अपनी जान गंवा देते हैं.

बिहार में शराबबंदी के बावजूद कैसे लोग पी रहे हैं शराब

बिहार सरकार ने ऐसे तो राज्य में शराब बंदी लागू कर रखी है, लेकिन इसके बावजूद भी राज्य में धड़ल्ले से शराब बनाई जा रही है और बेची जा रही है. शराबबंदी के कारण ब्लैक में शराब बेचने वालों की तादाद ज्यादा हो गई है और ज्यादा मुनाफे के लिए लोग कई बार आम लोगों की जिंदगी से खेल जाते हैं. कुछ समय पहले ही नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट आई थी, जिसमें खुलासा हुआ था कि बिहार के 15 फ़ीसदी लोग शराबबंदी के बावजूद लगातार शराब पी रहे हैं.

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