पटना: बिहार में जमीन का पूरा हिसाब-किताब अब नए सिरे से होगा। इसके लिए नीतीश कुमार की सरकार 20 अगस्त से भूमि सर्वेक्षण शुरू करने जा रही है। यह सर्वेक्षण राज्य के 45 हजार से अधिक गांवों में होगा। इस सर्वेक्षण में जमीन पर बने मकानों और दूसरी चीजों की भी जानकारी देनी होगी। सरकार ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है। बताया जा रहा है कि सरकार ने 177 तरह की चीजों की लिस्ट बनाई है, जिससे जमीन की पूरी जानकारी मिलेगी। इस सर्वेक्षण से पता चलेगा कि जमीन सरकारी है या प्राइवेट, खेती योग्य है या बंजर। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने इस बारे में पूरी जानकारी दी है।
पुराने रिकॉर्ड को अपडेट करना चाहती है सरकार
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने बताया कि सरकार जमीन के पुराने रिकॉर्ड को अपडेट करना चाहती है। बिहार में आखिरी बार जो जमीन का सर्वेक्षण (रिविजनल सर्वे) हुआ था, उसे लगभग 50 साल से ज्यादा समय हो गया है। वह सर्वेक्षण भी सभी जिलों में पूरा नहीं हो पाया था। उससे पहले बिहार के सभी जिलों का जो सर्वेक्षण हुआ था, वह लगभग 100 साल पहले हुआ था। पिछले सर्वेक्षण के बाद से अब तक बहुत सारी जमीनों का मालिकाना हक बदल गया है। इस सर्वेक्षण का मकसद जमीन के पुराने नक्शे और खतियान को अपडेट करना है।
बिहार के सभी गांवों में होगा सर्वे
जय सिंह ने बताया कि बिहार में जमीन विवाद का एक बड़ा कारण जमीन के पुराने रिकॉर्ड हैं। इस सर्वेक्षण से इस समस्या का समाधान निकलने की उम्मीद है। यह सर्वेक्षण बिहार के सभी गांवों में होगा, लेकिन शहरों में नहीं होगा। सर्वेक्षण में भाग लेना सभी के लिए अनिवार्य है, चाहे वे जमीन पर रहते हों या नहीं। उन्होंने बताया कि यह सर्वेक्षण लगभग एक साल तक चलेगा। सर्वेक्षण की प्रक्रिया की शुरुआत में, सरकार एक अधिसूचना जारी करेगी। इसके बाद, जिले के बंदोबस्त पदाधिकारी द्वारा हर गांव में इसकी घोषणा की जाएगी। इस घोषणा के माध्यम से लोगों को यह बताया जाएगा कि उनके गांव में जमीन का सर्वेक्षण शुरू होने वाला है। इसके बाद, सर्वेक्षण कर्मियों को लोगों की जमीन की मापी करने का अधिकार होगा।
मांगे जाएंगे जमीन के कागजात
क्या सर्वेक्षण पदाधिकारी जमीन के कागजात मांगेंगे? इस सवाल पर जय सिंह ने कहा कि बिल्कुल मांगेंगे। वे आपसे यह जानना चाहेंगे कि आपके पास उस जमीन का मालिकाना हक कैसे आया। आपसे यह साबित करने के लिए कागजात दिखाने को कहा जा सकता है। हो सकता है कि आपकी जमीन खतियानी हो, आपने जमीन खरीदी हो, जमीन बंटवारे में मिली हो या फिर अदालत के आदेश से मिली हो। आपको सर्वेक्षण टीम को इससे जुड़े दस्तावेज दिखाने होंगे।
अवैध जमीन को वापस लेगी सरकार
क्या सरकार सर्वेक्षण के दौरान अवैध कब्जे वाली जमीन को वापस ले लेगी? इस पर जय सिंह ने कहा कि अगर आपने किसी जमीन पर अवैध कब्जा किया है और सरकार सर्वेक्षण के माध्यम से उसे ठीक करना चाहती है, तो मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई दिक्कत है। जय सिंह ने आगे कहा कि हमारा लक्ष्य है कि यह सर्वेक्षण एक साल में पूरा हो जाए। इस प्रक्रिया में समय लगता है।
जमीन मालिक को दिया जाएगा तीन मौका
उन्होंने बताया कि इसमें लोगों को तीन बार अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा। सरकार का मकसद जल्दबाजी में सर्वेक्षण करना नहीं है। लोगों को अपने जमीन के कागजात दिखाने का पूरा मौका मिलेगा। अगर शुरुआत में कोई गलती होती है, तो आप तीन बार अपील कर सकते हैं। अगर आप सर्वेक्षण टीम के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, तो आपको तीन बार अपील करने का अधिकार है। अगर उसके बाद भी आपको लगता है कि सर्वेक्षण में गड़बड़ी हुई है, तो आप सिविल कोर्ट या हाई कोर्ट जा सकते हैं।
बिहार के बाहर रहने वाले क्या करें?
जो लोग बिहार से बाहर रहते हैं, उन्हें क्या करना चाहिए? इस सवाल पर जय सिंह ने कहा कि जिसके नाम पर जमीन होगी, वह उसी की रहेगी। आपको बस इतना बताना है कि आपकी जमीन कौन सी है और उसकी सीमाएं क्या हैं। इसके लिए आपको सबूत के तौर पर जमीन से जुड़े कागजात सर्वेक्षण टीम को देने होंगे। आप ये कागजात ऑनलाइन भी जमा कर सकते हैं। आप चाहे भारत में कहीं भी हों या फिर विदेश में, आप कहीं से भी अपने जमीन के कागजात जमा करा सकते हैं। सर्वेक्षण टीम जो रिकॉर्ड बनाएगी, उसे आप 6 महीने बाद देख सकेंगे। इसे ड्राफ्ट पब्लिकेशन कहते हैं। अगर ड्राफ्ट पब्लिकेशन में आपको लगता है कि आपकी जमीन किसी और के नाम पर दिखाई जा रही है, तो आप ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अगर आपकी शिकायत पर सुनवाई होती है, तो उस समय आप चाहें तो अपने परिवार के किसी सदस्य को अपना पक्ष रखने के लिए भेज सकते हैं।
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