इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के इन निर्देशों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिसमें कहा गया था कि कांवर यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे। मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ से कहा कि "परोक्ष" में भोजनालयों के नाम दर्शाने का आदेश दिया गया है। इसके बाद प्रशनी ने सिंघवी से पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड ने भोजनालय के मालिकों के नाम पर पेंटिंग कराने को लेकर कोई आदेश दिया है।
पीठ ने पूछा, ''क्या राज्य सरकारों ने कोई औपचारिक आदेश पारित किया है?'' सिंघवी ने कहा कि भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का आदेश "पहचान के आधार पर बहिष्कार" है और संविधान के अनुरूप नहीं है। इसके विरुद्ध है। इस मामले की सुनवाई चल रही है। मोइत्रा ने अपनी याचिका में दोनों राज्य सरकारों द्वारा जारी आदेशों पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि ऐसे निर्देश समुदायों के बीच कलह को बढ़ावा देते हैं।
आरोप लगाया गया है कि संबंधित आदेश मुस्लिम दुकान मालिकों और कारीगरों का आर्थिक बहिष्कार करने और उनकी आजीविका को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जारी किया गया है। खाना शाकाहारी या मांसाहारी है इसे पहले स्पष्ट कर लें। शाकाहारी और मांसाहारी को अलग-अलग रखें, एक साथ मिश्रण न करें। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने पहचान बताने वाले मामले में अंतरिम रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।
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