सत्संग के दौरान बड़ा हादसा: 100 से अधिक लोगों की मौत, मचा हड़कंप, जानें पूरा मामला

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सत्संग के दौरान बड़ा हादसा: 100 से अधिक लोगों की मौत, मचा हड़कंप, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में मंगलवार को एक धार्मिक समारोह में मची भगदड़ में कम से कम 107 लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज़्यादातर महिलाएँ थीं। यह घटना रति भानपुर गाँव में हुई, जहाँ भोले बाबा नाम के एक उपदेशक ने सत्संग का आयोजन किया था।

मृत या अचेत लोगों को ट्रकों व अन्य वाहनों में भरकर सिकंदराराऊ ट्रॉमा सेंटर लाया गया। सबसे बड़ा सवाल लोगों के जेहन में है कि आयोजनस्थल पर भगदड़ क्यों मची? 

एक प्रत्यक्षदर्शी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि भगदड़ तब हुई जब श्रद्धालु 'सत्संग' के बाद कार्यक्रम स्थल से निकलने लगे। सिकंदर राव थाने के एसएचओ आशीष कुमार ने कहा कि भीड़भाड़ के कारण भगदड़ मची। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।

अलीगढ़ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक शलभ माथुर ने बताया कि सत्संग सभा का आयोजन धार्मिक उपदेशक भोले बाबा ने किया था। अधिकारी ने बताया कि सभा बंद टेंट के अंदर आयोजित की गई थी। उन्होंने बताया कि भगदड़ इसलिए हुई क्योंकि श्रद्धालुओं को घुटन महसूस हुई।

उन्होंने बताया, "यह धार्मिक उपदेशक भोले बाबा की सत्संग सभा थी। एटा और हाथरस जिले की सीमा पर स्थित इस स्थान पर मंगलवार दोपहर को एकत्र होने के लिए अस्थायी अनुमति दी गई थी। यह टेंट का बंद घेरा था और प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि घुटन के कारण असुविधा हुई और एकत्र हुए लोग इधर-उधर भागने लगे, जिससे भगदड़ मच गई।" एटा के जिला अस्पताल में भर्ती किशोरी ज्योति ने बताया कि श्रद्धालुओं ने जल्दबाजी में परिसर से बाहर निकलने की कोशिश की, जिससे भगदड़ मच गई।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा, "हाथरस जिले में दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में लोगों की जान जाना बेहद दुखद और दिल दहला देने वाला है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं।" उन्होंने मृतकों के परिवारों के लिए ₹2 लाख और घायलों के लिए ₹50,000 की अनुग्रह राशि की भी घोषणा की।

भोले बाबा का नाम नारायण साकार हरि है। वह एटा जिले की पटियाली तहसील के गांव बहादुर नगरी के रहने वाले हैं। 26 साल पहले उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर प्रवचन शुरू किया था।

वह बताते हैं कि उनकी शुरुआती पढ़ाई एटा में हुई। फिर उनकी इंटेलिजेंस ब्यूरो की नौकरी लगी। वर्ष 1990 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देकर अध्यात्म का रास्ता अपनाया।

आध्यात्मिक जीवन में आने के बाद उन्होंने अपना नाम बदल कर साकार विश्व हरि रख लिया। नारायण साकार किसी अन्य बाबा की तरह भगवा पोशाक नहीं पहनते। वह अपने सत्संग में सफेद सूट, टाई और जूते में नजर आते हैं। कई बार कुर्ता-पजामा और सिर पर सफेद टोपी भी लगाकर सत्संग करने पहुंचते हैं।

नारायण साकार हरि, खुद को हरि का शिष्य कहते हैं। अक्सर अपने प्रवचन में कहते हैं कि साकार हरि पूरे ब्रह्मांड के मालिक हैं। भोले बाबा के अनुयायी पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तराखंड में ज्यादा हैं।

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