Amarnath yatra 2024
अमरनाथ यात्रा के लिए आज मतलब 15 अप्रैल 2024 से एडवांस रजिस्ट्रेशन आरम्भ हो गया है। प्रत्येक वर्ष 45 दिनों तक चलने वाले इस यात्रा का आरम्भ 29 जून को होगा तथा 19 अगस्त को रक्षाबंधन और सावन के पूर्णिमा के अवसर पर यात्रा समाप्त होगी।अमरनाथ यात्रा के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों भक्त पंजीकरण कराते हैं। इस यात्रा के लिए भारतीय भक्त को 220 रुपये प्रति भक्त देने होंगे, जबकि विदेशी नागरिकों को इसके लिए 1510 रुपये प्रति भक्त देने होंगे। यात्रा का रजिस्ट्रेशन करने के लिए भक्तों को आधार कार्ड, फोटोग्राफ और ब्लड ग्रुप की जानकारी सहित मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट की आवश्यकता होगी। प्रत्येक यात्री के लिए मेडिकल चेकअप अनिवार्य है। आइए, आपको बताते हैं कि अमरनाथ यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
ऐसे करें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन:-
सबसे पहले श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (SASB) की ऑफिशियल वेबसाइट www.jksasb.nic.in पर जाएंं। सबसे पहले 'Menu' पर क्लिक करें उसके बाद
यहां दिए 'Online Service' पर क्लिक करें और उसके बाद में 'Yatra Permit Registration' बटन पर क्लिक करें।
तत्पश्चात, भक्त अपनी जानकारियां भरें और सबमिट बटन पर क्लिक कर दें।
अप्लीकेशन प्रोसेस होने के बाद उपयोगकर्ताओं को उनके मोबाइल नंबर पर एक कन्फर्मेशन मैसेज मिलेगा, जिसमें OTP यानी वन टाइम पासवर्ड दिया होगा।
OTP दर्ज करने के पश्चात् अप्लीकेशन की फीस का भुगतान करें।
इस प्रकार से अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद यात्रा परमिट डाउनलोड कर लें।👇
बाबा अमरनाथ का रहस्य 👇
जहां भगवान शिव ने बताए थे मां पार्वती को अमर होने के गुप्त रहस्य - इस कथा को सुनाने के लिए वो अकेले मां पार्वती को सुनाना चाहते थे, इसलिए अपना नाग, नंदी, चंद्रमा सभी को पीछे छोड़ गए थे। इसके बाद भगवान शिव ने आग जलाई और मां पार्वती को अमर होने की कथा सुनाई। बीच-बीच में उन्हें हूं-हूं होने की आवाज आती रही, उन्हें लगा माता पार्वती हुंकार भर रही हैं, लेकिन माता पार्वती नहीं दो कबूतर उनकी कथा सुन रहे थे और बीच में गूटर गू, गुटर गू कर रहे थे। जब कथा समाप्त हुई तो शिवजी ने देखा माता पार्वती तो सो रही हैं और दो कबूतर उनकी कथा सुन रहे हैं, इस पर शिवजी को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने कबूतरों को श्राप देना चाहा, लेकिन कबूतर का जोड़ा बोला कि अगर आप हमें मार दोगे तो यह कथा झूठी हो जाएगी। इस पर भगवान शिव ने दोनों को कहा कि तुम इस जगह और कथा के साक्षी रहोगे। तब से इस जगह का नाम भी अमरनाथ पड़ा।
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