नासा के वैज्ञानिकों का दावा- अब बुध ग्रह पर भी बसाई जा सकेंगी बस्तियां, मिले जीवन के सबूत

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नासा के वैज्ञानिकों का दावा- अब बुध ग्रह पर भी बसाई जा सकेंगी बस्तियां, मिले जीवन के सबूत

सूर्य के सबसे करीब कहे जाने वाले बुध ग्रह पर जीवन हो सकता है। नासा के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है। हालांकि, अब तक माना जा रहा था कि सूर्य के करीब होने के कारण इसका क्षेत्र झुलसा देने वाला भरा होगा।

ऐसे में यहां जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन प्लैनेटरी साइंस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि बुध की सतह पर नमकीन ग्लेशियर के प्रमाण मिले हैं। ऐसे में यहां जीवन की उम्मीद जगी है। जैसे कि पृथ्वी पर भी गंभीर हालातों में भी सूक्ष्म जीवन देखने को मिलता है।

मर्करीस हिडन पास्ट 
रिवीलिंग अ वोलेटाइल-डॉमिनेटेड लेयर थ्रू ग्लेशियर लाइक फीचर्स एंड चेओटिक टेरेंस नामक अध्ययन प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। सूर्य के बहुत ही पास होने के कारण बुध ग्रह पर दिन का अधिकतम तापमान 430 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। वहीं, रात का तापमान-180 डिग्री तक नीचे गिर जाता है। इसकी वजह है कि यहां किसी भी तरह का वायुमडंल नहीं है जिससे यहां सतह पर पड़ने वाली रोशनी से बनी ऊष्मा को रोक सके।

पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावनाओं के खुले आयाम
वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रहों के विकास की हमारी समझ और पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावनाओं के नए आयाम खोलने का काम किया है। अध्ययन के प्रमुख लेखक एलोक्सिस रोड्रिगेज ने कहा कि एक शोध में प्लूटो में नाइट्रोजन के ग्लेशियरों की उपस्थिति पाई गई थी। इससे पता चलता है कि सौरमंडल में बहुत ही गर्म और बहुत ही ठंडे माहौल में भी ग्लेशियर बन सकते हैं। इससे सौरमंडल में बहुत सारे स्थानों पर जीवन की उम्मीद भी बनती है।

एक अरब वर्षों से समेटे हैं पदार्थ
बुध के ग्लेशियर पृथ्वी के ग्लेशियर से अलग हैं। यह गहरी समृद्ध परतों में निकले हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका मॉडल इसी बात की मजबूती से पुष्टि करता है कि इसमें नमक के प्रवाह ने इन ग्लेशियरों को पैदा किया होगा। इसके बाद ये जम कर एक अरब वर्षों से ही उड़ने वाला पदार्थ अपने अंदर समेटे रहे होंगे।

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