प्रतिवर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इसे जितिया व्रत भी कहा जाता है। इस साल अष्टमी तिथि दो दिन पड़ने के कारण जितिया व्रत 6 और 7 अक्टूबर दोनों ही दिन रखा जा रहा है।
आज के दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उत्तम भविष्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पारण का समय और महत्व
जीवित्पुत्रिका व्रत 2023 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर 2023, शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 34 मिनट पर आरंभ हो गई है, जो 7 अक्टूबर 2023, शनिवार को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में जितिया व्रत 6 अक्टूबर को रखा जाएगा। अगर जो लोग उदया तिथि को मानते हैं कि वह लोग 7 अक्टूबर 2023 को रखेंगे।
जीवित्पुत्रिका व्रत 2023 पूजा मुहूर्त
जितिया व्रत के पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 34 मिनट से सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक है।
सुबह 06 बजकर 16 मिनट से सुबह 07 बजकर 45 मिनट तक
सुबह 07 बजकर 45 मिनट से सुबह 09 बजकर 13 मिनट
सुबह 09 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक
सुबह 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक
रात 09 बजकर 32 मिनट से 7 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 17 मिनट तक
सुबह से लेकर अगले दिन सुबह 05 बजकर 31 मिनट तक
जीवित्पुत्रिका व्रत 2023 व्रत का पारण
जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण 7 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 10 मिनट के बाद किया जाएगा।
जीवित्पुत्रिका व्रत 2023 का पूजा विधि
जीवित्पुत्रिका व्रत एक दिन पहले महिलाएं सात्विक भोजन करके नहाय खाय से आरंभ हो जाता है। उसके बाद आज स्नान आदि करने के साथ साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद पानी से भरे एक पात्र में कुशा से बनी जीमूतवाहन भगवान की मूर्ति की स्थापना करें। इसके साथ ही मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्ति बनाएं। फिर उन्हें फूल, माला, पीले वस्त्र, माला, अक्षत , चंदन आदि चढ़ाने के साथ सरसों के तेल और बांस के पत्तों से पूजा करें। इसके साथ ही भगवान को लाल और पीले रंग की रुई चढ़ाएं। इसके बाद जितिया व्रत कथा सुनें। अंत में विधिवत आरती कर लें।दिन भर व्रत रखने के बाद दूसरे दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण कर दें।
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