नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने देशभर के डॉक्टर्स के लिए कुछ नए नियम जारी किए हैं। जिसके तहत अब डॉक्टर फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा आयोजित कॉकलेट डिनर, पार्टी या फाइव स्टार होटल में होने वाले मेडिकल सेमिनार में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
सबसे खास बात ये है कि इन नियमों का उल्लंघन करने पर डॉक्टर का लाइसेंस तीन महीने तक के लिए निलंबित कर दिया जाएगा। इसके अलावा डॉक्टर या उनके परिवार के सदस्य फार्मास्युटिकल कंपनियों से परामर्श शुल्क या मानदेय भी नहीं ले सकते हैं। उनके गिफ्ट लेने पर भी पाबंदी लगाई गई है।
*जेनेरिक दवाएं लिखने को कहा*
वहीं दूसरी ओर नए नियमों के तहत डॉक्टरों को सिर्फ जेनेरिक दवाएं लिखने को कहा गया है। इसके अलावा उन्हें ऐसी हैंडराइटिंग में दवाओं का नाम लिखना होगा, जिससे आम इंसान उसको आसानी से पढ़ सके।
*डॉक्टर कर रहे विरोध*
वैसे इन बदलावों का विरोध भी शुरू हो गया है। डॉक्टर के एसोसिएशन के मुताबिक जेनेरिक दवाओं से मरीजों की देखभाल पर असर पड़ेगा। ऐसे में वो इस फैसले से सहमत नहीं हैं।
मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि अगर सरकार चाहती है कि डॉक्टर केवल जेनेरिक दवाएं लिखें, तो उनको चाहिए कि वो दवा कंपनियों को पहले निर्देश दें कि वो बिना ब्रांड के नाम के साथ दवा बनाएं। जब ब्रांड का नाम नहीं रहेगा, तो कोई दिक्कत नहीं होगी।
*पहले भी आ चुका है नियम*
वैसे इस तरह के नियम कोई नहीं बात नहीं है। 2010 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी एक नियम के तहत डॉक्टरों को फार्मा कंपनियों से गिफ्त लेने पर रोक लगा दी थी। बाद में 1000 तक तक गिफ्ट की इजाजत दे दी। उस वक्त डॉक्टर या उसके परिवार की यात्रा सुविधाओं पर भी प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन जमीनी स्तर पर उसका कोई खास असर नहीं दिखा।
*क्या कहते हैं एक्सपर्ट?*
विशेषज्ञों के मुताबिक नेशनल मेडिकल कमीशन के नियम तो बहुत अच्छे हैं। अगर वो पूरी तरह से लागू हों, तो मरीजों के लिए रामराज्य आ जाएगा, लेकिन ऐसे नियम अक्षरशः लागू नहीं हो सकते हैं।