ग्रामीणों ने बताया कि कागारौल कस्बा में 2,000 से अधिक बंदर हैं। ये गुटों में अलग-अलग स्थानों पर बैठते हैं। इन्होंने गली-मोहल्लों में लोगों का निकलना भी दूभर कर दिया है। आलम ये है कि मौका पाते ही लोगों को घायल कर देते हैं। जब, बंदरों में आपसी भिड़ंत होती है तो हालात बद से बदतर हो जाते हैं। इनसे परेशान ग्रामीणों ने विगत चार अगस्त को कस्बा के बड़े मंदिर प्रांगण में पंचायत बुलाई।
कस्बा के सभी लोग इकह्वे हुए। ग्राम प्रधान ने पंचायत की अध्यक्षता की। इसमें सर्व सम्मति से बंदरों को पकड़ने का फैसला हुआ। इन बंदरों को पकड़ने के लिए गांव में चंदा हुआ। बंदर पकड़ने के लिए कोसीकलां से टीम बुलाई गई। मंगलवार को उन्होंने गांव से 350 बंदर पकड़े। ग्रामीणों ने बताया कि पकड़े गए बंदरों को 30 से 40 किलोमीटर के दायरे के जंगलों में छोड़ा जाएगा।
बाहर से भी आ गए थे बंदर
कस्बे में पहले से ही बंदर थे, लेकिन बाहर से भी बड़ी संख्या में बंदर आ गए थे। इन बंदरों में सीमा विवाद जैसा संघर्ष होता था। अलग-अलग गुट में बैठने वाले बंदर पलक छपकते ही आपस में भिड़ जाते हैं। बाजार से सामान खरीदकर ले जाने वाले लोगों का सामान छीन लेते हैं। बच्चों का घरों से निकलना मुश्किल है। महिलाएं और पुरुष घर से बाहर आते वक्त डंडा आदि लेकर चलते थे। कई मोहल्ले और गलियों में निकलना भी मुश्किल है।
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