दरअसल इसे देश का पहला गांव बनाने की मुहिम पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माणा गांव के दौरे के बाद शुरू हुई. इस दौरे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने माणा को देश को पहला गांव कहकर संबोधित किया था. पीएम मोदी ने सीएम धामी के इस बयान का सपोर्ट किया था. सीएम धामी ने ट्विटर पर तस्वीर जारी करते हुए लिखा कि अब माणा देश का आखिरी नहीं बल्कि प्रथम गांव के रूप में जाना जाएगा.
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का हिस्सा है माणा गांव
देश ने सरकार के सीमावर्ती गांवों के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरु की है. इस प्रोग्राम का उद्देश्य देश के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले समुदायों के जीवन स्तर को सुधारना है. इसके अंतर्गत देश के 2967 गांवों का विकास करना है. माणा भी इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है. देश के अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख सहित उत्तर की सीमा से लगे 19 जिलों को इसमें शामिल किया गया है, जिसमें 46 ब्लॉक हैं.
उत्तराखंड में कहां है देश का पहला गांव माणा?
माणा गांव उत्तराखंड के सीमावर्ती जिले चमोली में पड़ता है. ये गांव चार धामों में से एक बद्रीनाथ से लगभग 5 किमी की दूरी पर है और ये सरस्वती नदी के तट पर बसा हुआ है. बद्रीनाथ के दर्शन करने वाले लोग माणा गांव तक घूमते जाने हैं, ताकि वो यहां भारतीय सीमा के अंतिम छोर को देख सकें. माणा गांव की सीमा के पास चीन है. यहां से चीन की सीमा 24 किलोमीटर दूर है. इस गांव में ज्यादातर भोटिया लोग रहते हैं.
2011 की मतगणना के मुताबिक इस गांव में 1214 लोग रहते हैं. इस गांव की समुद्री तल से ऊंचाई 3219 मीटर है इसलिए यहां ज्यादातर समय बहुत ठंड रहती है. सर्दियों के सीजन में गांव वाले निचले इलाकों में रहने के लिए निकल जाते हैं क्योंकि इस समय यहां भारी मात्रा में बर्फ पड़ती है.
महाभारत से भी है माणा गांव का है संबंध
लोक मान्यता है कि जब पांडव स्वर्ग के लिए गुजर रहे थे. तब वो माणा गांव के रास्ते ही स्वर्ग के लिए निकले थे. माणा गांव में बने भीम पुल के बारे में कहा जाता है कि इसे भीम ने बनाया था. माना जाता है कि जब द्रौपदी पांडवों के साथ स्वर्ग को जा रही थी, उसे सरस्वती नदी को पार करने में मुश्किल हो रही थी. तो भीम ने एक बड़ा सा पत्थर रख दिया, जिसके सहारे वो आगे बढ़ी. इस विशालकाय पत्थर को ही भीम पुल के नाम से जाता है.
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