ईडी ने केजरीवाल की जमानत पर रिहाई के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
ईडी ने अपनी एसएलपी में कहा है कि जांच के महत्वपूर्ण पड़ाव पर केजरीवाल को रिहा करने से जांच पर असर पड़ेगा क्योंकि केजरीवाल मुख्यमंत्री जैसे अहम पद पर हैं.
इस पर हाईकोर्ट ने केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की उस दलील को ठुकरा दिया है, जिसमें कहा गया कि याचिका पर जल्द सुनवाई की जरूरत नही है. इस बीच जस्टिस सुधीर जैन ने कहा कि जब तक हाईकोर्ट में सुनवाई लंबित है, तब तक निचली अदालत का आदेश प्रभावी नहीं होगा.
दरअसल केजरीवाल को एक दिन पहले गुरुवार को ही निचली अदालत से जमानत मिली थी, जिसके विरोध में ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था.
बता दें कि इस मामले पर जस्टिस सुधीर कुमार जैन और रविंदर डुडेजा की अवकाश पीठ सुनवाई कर रही है. ईडी की तरफ से पेश वकील ने कहा कि निचली अदालत में हमें इस मामले पर बहस करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया.
ASG राजू ने कहा कि हमें लिखित में जवाब दाखिल करने तक का समय नहीं दिया गया. यह बिल्कुल भी उचित नहीं है. ईडी ने पीएमएलए की धारा 45 का हवाला दिया है. एएसजी राजू ने कहा कि हमारा मामला काफी मजबूत है. उन्होंने सिंघवी की मौजूदगी का विरोध किया.
इससे पहले ईडी के वकील ने आज ही हाईकोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की थी. ईड की तरफ से ASG राजू और वकील जोएब हुसैन हाईकोर्ट मे मौजूद रहे. दिल्ली हाईकोर्ट में केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मौजूद रहे.
हाईकोर्ट से केजरीवाल की जमानत पर रोक लगाए जाने के बाद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि मोदी सरकार की गुंडागर्दी देखिए. अभी ट्रायल कोर्ट का आदेश ही नहीं आया. आदेश की कॉपी भी नहीं मिली तो मोदी की ईडी हाईकोर्ट में किस आदेश को चुनौती देने पहुंच गई? क्या हो रहा है इस देश में? न्याय व्यवस्था का मजाक क्यों बना रहे हो. मोदी जी पूरा देश आपको देख रहा है?
क्या है दिल्ली का कथित शराब घोटाला?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को लागू किया था. नई पॉलिसी के तहत शराब कारोबार से सरकार बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई थीं.
दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही और जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया. कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था.
इस रिपोर्ट में उन्होंने मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. इसके बाद सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया. इसमें पैसों की हेराफेरी का आरोप भी लगा इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया.
मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया था. मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था. आरोप लगाया गया कि नई नीति के जरिए लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया.
रिपोर्ट में आरोप लगाया कि कोविड का बहाना बनाकर मनमाने तरीके से 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी. एयरपोर्ट जोन के लाइसेंसधारियों को भी 30 करोड़ लौटा दिए गए, जबकि ये रकम जब्त की जानी थी.
केजरीवाल को पहली बार 10 मई को मिली थी जमानत
सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को 10 मई को अंतरिम जमानत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को चुनाव प्रचार करने के लिए एक जून तक की अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. इसके बाद उन्होंने 2 जून को सरेंडर कर दिया था.
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. दिल्ली के कथित शराब घोटाले में केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था.
केजरीवाल के खिलाफ सीधा सबूत नहीं, ED पक्षपाती; जमानत देने वाली अदालत
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को जमानत दे दी। कथित शऱाब घोटाले गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री को जमानत देते हुए स्पेशल कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर तल्ख टिप्पणियां की हैं। अदालत ने यह भी माना है कि केजरीवाल के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं है। हालांकि, राउज एवेन्यू स्थित स्पेशल कोर्ट के इस आदेश को ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
जज न्याय बिंदु ने अपने आदेश में कई अहम बातें कहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि ईडी रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ नहीं रखा है जिससे पता चले कि विजय नायर याचिकाकर्ता (अरविंद केजरीवाल) के निर्देश पर काम कर रहा था। जांच एजेंसी यह साबित करने में भी विफल रही है कि विनोद चौहान का चरनप्रीत के साथ नजदीकी संबंध था। कोर्ट ने सवाल किया कि इस तरह जांच एजेंसी कैसे याचिकाकर्ता को दोषी साबित कर सकती है, यदि याचिकाकर्ता की इनसे पुरानी पहचान भी हो तो।
जज ने कहा, ‘ईडी यह स्पष्ट करने में विफल रही है वह कैसे इन निष्कर्ष तक पहुंची कि विनोद चौहान से जब्त एक करोड़ रुपए अपराध का हिस्सा है।’ कोर्ट ने आगे कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि ईडी भी मानती है कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत याचिकाकर्ता के खिलाफ पर्याप्त नहीं हैं और यह (ईडी) किसी तरह इसे जुटाना चाहती है कि कोर्ट को सहमत कर सके कि आवेदक के खिलाफ सबूत मौजूद हैं।’ कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी को तेज और निष्पक्ष होना चाहिए ताकि यह कहा जा सके कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध साबित किया जाना बाकी है।
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