ट्राई का कहना है कि नियमों में बदलाव करने से फ्रॉड की घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है। हालांकि इससे आम यूजर्स को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
नियमों में क्या हुआ बदलाव
नए नियमों के तहत, मोबाइल यूजर्स ने हाल ही में अपने सिम कार्ड स्वैप किया है, तो वो अपना मोबाइल नंबर पोर्ट नहीं कर पाएंगे। बता दें कि सिम की अदला-बदली की सिम स्वैपिंग कहा जाता है। सिम स्वैपिंग सिम कार्ड खो जाने या फिर उसके टूट जाने पर होती है। ऐसा होनो पर आप अपने टेलीकॉम ऑपरेटर से अपना पुराना सिम बदलकर नया सिम लेने के लिए कहते हैं।
क्या होगा फायदा?
ट्राई का कहना है कि ऐसा कदम फ्रॉड की घटनाओं को रोकने के मद्देनजर उठाया गया है। नए नियम को फ्रॉड करने वालों को सिम स्वैपिंग या फिर रिप्लेसमेंट के तुरंत बाद मोबाइल कनेक्शन को पोर्ट करने से रोकने से रोकने के लिए उठाया गया है।
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क्या है सिम स्वैपिंग
आज के दौर में सिम स्वैपिंग फ्रॉड बढ़ गए हैं, जिसमें फ्रॉड करने वाले आपके पैन कार्ड और आधार की फोटो काफी आसानी से हालिस कर लेते हैं। इसके बाद मोबाइल खो जाने का बहाना बनाकर नया सिम कार्ड जारी करा लेते हैं। इसके बाद आपके नंबर पर आने वाली ओटीपी फ्रॉड करने वालों के पास पहुंच जाती है।
ट्राई की सिफारिश
ट्राई ने दूरसंचार विभाग को एक नई सर्विस शुरु करने की शिफारिश की है, जिसमें मोबाइल यूजर के हैंडसेट पर आने वाली हर कॉल का नाम डिस्प्ले है, फिर चाहे वो नाम कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव हो या नहीं। इससे फ्रॉड की घटनाओं पर लगाम लगाया जा सकता है। लेकिन इससे प्राइवेसी को लेकर सवाल उठाए गए हैं।
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