जैसे ही ये खबर जैन समाज के लोगों को पता चली, लोगों को जुटना शुरू हो गया है। आज दोपहर 1 बजे उनकी अंतिम संस्कार विधि होगी। पिछले साल पीएम मोदी खुद मुनि श्री का आशीर्वाद लेने यहां आए थे।
समाधि लेकर छोड़ा शरीर
शरीर त्यागने से 3 दिन पहले ही आचार्य श्री विद्या सागर ने आचार्य पद का त्याग कर दिया था और 3 दिन का उपवास धारण कर अखंड मौन ले लिया था। जिसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए। इसके पहले 6 फरवरी को उन्होंने निर्यापक श्रमण मुनिश्री योग सागर जी से बात की और संघ से संबंधित कार्यों से निवृत्ति ले ली थी और उसी दिन आचार्य पद का त्याग कर दिया था।
500 से अधिक को दी दीक्षा
आचार्य श्री ने अपने की जीवन पहली दीक्षा छतरपुर के द्रोणगिरी तीर्थ में 8 मार्च 1980 को मुनि श्री समय सागर महाराज को दी थी। इसके बाद आचार्य श्री ने अनेक बार जैन संतों की दीक्षा दी और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। आचार्य श्री देश के एकमात्र ऐसे जैन मुनि थे, जिन्होंने अब तक 505 मुनि, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक दीक्षा दी। आचार्य श्री ने अंतिम बार उत्तरप्रदेश के ललितपुर में 28 नवंबर 2018 को दीक्षा दी थी।
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। यह मेरा… pic.twitter.com/mvJJPbiiwM
— Narendra Modi (@narendramodi) February 18, 2024
भाई-बहनों को भी दी दीक्षा
जानकारी के अनुसार आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 में कर्नाटक के बेलगांव के सद्लगा गांव में हुआ था। खास बात ये है कि उस दिन शरद पूर्णिमा जैसी पवित्र तिथि थी। आचार्य श्री द्वारा दीक्षा लेने वालों में उनके भाई मुनि श्री समय सागर व मुनि श्री योग सागर तथा बहनें शांता और सुवर्णा दीदी भी शामिल हैं।
खुद पीएम मोदी मिलने आए
पिछले साल यानी 5 नवंबर 2023 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब छत्तीसगढ़ आए तो इस दौरान उन्होंने आचार्य श्री विद्यासागर का आशीर्वाद भी लिया। पीएम मोदी ने चंद्रगिरी पर्वत तीर्थ पर जाकर आचार्य श्री से मुलाकात की और आशीर्वाद भी लिया।
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