वोटिंग में नीतीश सरकार के पक्ष में 129 वोट मिले, वहीं विपक्ष में 0 वोट मिले.
नीतीश सरकार के सदन में विश्वासमत हासिल करते ही बिहार में पिछले 15 दिनों से जारी सियासी खेल और कयासों का एक तरह से पटाक्षेप हो गया. दरअसल सदन में होने वाले फ्लोर टेस्ट से पहले विपक्ष यानी महागठबंधन का दावा था कि सरकार अल्पमत में है लेकिन फ्लोर टेस्ट में विपक्ष का ये दावा गलत साबित हुआ. मालूम हो कि बिहार विधानसभा में कुल विधायको की संख्या 243 है. सदन में बहुमत साबित करने के लिए 122 विधायकों का समर्थन जरूरी है लेकिन फ्लोर टेस्ट में नीतीश सरकार ने इस संख्या से अधिक विधायकों का समर्थन पाया.
एनडीए का शुरू से ही दावा था कि उसके पास 128 विधायकों का संख्या बल मौजूद है, जिसमें बीजेपी के 78, जद-यू के 45, हम के 4 और एक निर्दलीय सुमित कुमार सिंह शामिल हैं जबकि कल जद-यू विधायक दल की बैठक में 5 विधायक नहीं आए थे, वहीं, बीजेपी की बैठक में 2 विधायक नही पहुंचे थे. एनडीए खेमें में वोटिंग करने वाले विधायकों में राजद के भी तीन विधायक थे. सदन में चर्चा के दौरान नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के अलावा डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी ने भी अपना पक्ष रखा. इस दौरान तेजस्वी यादव पर नीतीश कुमार तो वहीं नीतीश कुमार पर तेजस्वी यादव ने खूब निशाना साधा.
सुबह विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए लाए थे प्रस्ताव, बिहार विधानसभा में सभाध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को 125 के मुकाबले 112 मत से पद से हटा दिया गया था।👇
विधानमंडल के बजट सत्र के पहले दिन सोमवार को दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राज्यपाल के अभिभाषण की समाप्ति के बाद जब विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई तब सभा अध्यक्ष को हटाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नंदकिशोर यादव ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। सभा अध्यक्ष ने नियम के तहत सदस्यों से पूछा कि कितने सदस्य अध्यक्ष के हटाने के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। इसपर 38 से अधिक सदस्यों ने खड़ा होकर इसका समर्थन किया। इसके बाद सभाध्यक्ष ने कहा कि सदन में उन्हें पद से हटाने का प्रस्ताव स्वीकृत हो गया है इसलिए वह अब आसन खाली करते हैं। सभाध्यक्ष के आसन खाली करने के बाद उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने आसन ग्रहण किया।
एक टिप्पणी भेजें
0टिप्पणियाँ