इस दौरान चीनी सैनिकों ने इन्हें रोकने की कोशिश की।
भारतीय चरवाहों ने चीनी सैनिकों से कहा कि वो जिस जमीन पर खड़े हैं वो मिट्टी भारत की है। ये घटना इस महीने की शुरुआत की बताई जा रही है। 2020 में हुए गलवान विवाद के बाद से स्थानीय चरवाहों ने इस इलाके का इस्तेमाल बंद कर दिया था।
लेकिन एक बार फिर से वे इस इलाके में पशुओं को चराने के लिए ले जाने लगे हैं। गलवान विवाद के बाद से ये पहली बार है जब चरवाहों ने इस इलाके को अपना बताया और चीनी सैनिकों को यहां से जाने को कहा। इस बातचीत का वीडियो अब वायरल हो रहा है।
In #Ladakh, #Chinese soldiers were stopping our shepherds from entering our land. The shepherds fought bravely.
— Suban.M (@idsuban7) January 31, 2024
Where..&
What happened to the 56" chest?
What happened to the "laal ankh"?
What happened to the "strong leadership"?
pic.twitter.com/vDyY3Sn2KB
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें चीनी सैनिक लद्दाख के काकजंग इलाके में भारतीय चरवाहों को रोक रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि यह क्षेत्र चीन का है। द हिंदू के अनुसार, 2 जनवरी को हुए टकराव में कथित तौर पर चरवाहों ने चीनी कर्मियों पर पत्थर फेंके।
यह घटना लद्दाख के न्योमा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत काकजंग में पेट्रोलिंग पॉइंट (पीपी) 35 और 36 के पास हुई। न्योमा के पार्षद इशी स्पालजैंग ने अखबार द हिन्दू को बताया कि विवादित क्षेत्र वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के बारे में भारत की धारणा के अनुरूप है।
वीडियो में क्षेत्र में चीनी सैनिकों और उनके वाहनों की मौजूदगी देखी गई, जबकि भारतीय सुरक्षा बलों की उल्लेखनीय अनुपस्थिति है। लगभग 9 मिनट लंबे वीडियो में दिख रहा है कि चीनी सैनिक, भारतीय चरवाहों का वीडियो बना रहे हैं।
वीडियो में चीनी बख्तरबंद वाहन और कई सैनिक दिखाई दे रहे हैं। इस दौरान चीनी सैनिक गाड़ी का हॉर्न बजाकर कर चरवाहों को वहां से चले जाने का संकेत दे रहे हैं, लेकिन चरवाहे भी वहां डटकर खड़े होते हैं और चीनी सैनिकों के साथ बहस करते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को साझा करने वाले लद्दाख के सांसद ने कहा कि चरवाहों ने जगह छोड़ने से इनकार कर दिया और सैनिकों पर पथराव भी किया।
पूर्वी लद्दाख के चुशुल से पार्षद कोंचोक स्टेन्जिन ने एक्स पर ये वीडियो शेयर किया। उन्होंने पोस्ट कर लिखा- देखिए किस तरह से हमारे स्थानीय लोगों ने चीन की सेना के सामने अपनी बहादुरी दिखाते हुए दावा किया कि जिस इलाके में उन्हें दाखिल होने से रोक रहे हैं वह हमारे बंजारों की ही चरागाह भूमि है।
उन्होंने आगे कहा कि चीन की सेना हमारे बंजारों को उनकी ही भूमि पर मवेशियों को चराने से रोक रही थी। मैं हमारे बंजारों को सलाम करता हूं, जो हमेशा हमारी जमीन की रक्षा के लिए देश की दूसरी संरक्षक शक्ति के रूप में खड़े रहते हैं।
एक अन्य पोस्ट मेंपार्षद कोन्चोक ने लिखा कि पूर्वी लद्दाख के बॉर्डर वाले इलाकों में भारतीय सेना की फायर फ्यूरी कॉर्प्स सकारात्मक बदलाव लाई है, जिसे देखकर खुशी होती है।
पैंगोग झील के उत्तरी किनारे से सटे चारागाह पर हमारे चरवाहों और बंजारों को हक दिलाने में सेना ने मदद की है। मजबूत सैन्य-नागरिक संबंध बनाने और बॉर्डर से सटे इलाकों के लोगों के हितों का ध्यान रखने के लिए भारतीय सेना का आभारी हूं।
रिपोर्ट में बताया गया है किटकराव के बाद, 12 जनवरी को, सरपंच, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के अधिकारियों ने चरागाह स्थल का दौरा किया था।
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