भारतीय पुनर्वास परिषद ही देश भर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में कराए जा रहे स्पेशल बीएड कोर्स को मान्यता देती है। आरसीआई ने सर्कुलर में कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के तहत अब दो वर्षीय स्पेशल बीएड कोर्स पर रोक लगा दी गई है। अब केवल चार वर्षीय स्पेशल बीएड कोर्स को ही मान्यता दी जाएगी। देश भर में ऐसे करीब 1000 संस्थान / विश्वविद्यालय हैं जहां यह कोर्स कराया जा रहा है।
आरसीआई के सदस्य सचिव विकास त्रिवेदी की ओर से जारी सर्कुलर में लिखा गया है एनसीटीई ने एनईपी-2020 के तहत इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम (आईटीईपी) में चार वर्षीय बीएड कार्यक्रम का प्रावधान रखा है। इसके मद्देनजर आरसीआई ने भी चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम को ही संचालित किए जाने का फैसला किया है। आगामी सत्र से आरसीआई की ओर से सिर्फ चार वर्षीय बीएड (विशेष शिक्षा) पाठ्यक्रम की ही मान्यता दी जाएगी।
क्या होता है स्पेशल बीएड कोर्स
स्पेशल बीएड कोर्स में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाती है। दिव्यांग बच्चों की विशेष तरह की जरूरतों को ध्यान में रखकर ही इस कोर्स में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें सुनने, बोलने व अक्षमता, दृष्टि बाधित, मानसिक विकलांगता आदि दिव्यांगों के लिए सिलेबस का संचालन किया जाता है।
आरसीआई ने कहा है कि जो भी संस्थान चार साल का इंटीग्रेटेड बीएड स्पेशल एजुकेशन कोर्स (एनसीटीई के चार वर्षीय आईटीईपी कोर्स की तरह) करवाना चाहते हैं, वे अगले अकादमिक सत्र के लिए आवेदन कर सकेंगे। ऑनलाइन पॉर्टल खुलने पर इन्हें आवेदन का मौका मिलेगा।
बताया जा रहा है कि एनसीटीई स्पेशल बीएड इंटीग्रेटेड कोर्स का नया सिलेबस तैयार कर रही है। इस कोर्स को आरसीआई लागू करेगी। एनसीटीई का सिलेबस स्पेशल छात्रों की जरूरतों के अनुरूप ही डिजाइन किया जा रहा है।
इस संबंध में लखनऊ के डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. यशवंत वीरोदय का कहना है कि दो वर्षीय बीएड (विशेष शिक्षा) पाठ्यक्रम के भविष्य को लेकर निर्णय विवि की कार्य परिषद बैठक में लिया जाएगा।
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