Sahara India ग्रुप के मालिक सुब्रत रॉय का निधन, जानिए अब कैसे पायेंगे सहारा में फंसे पैसे, और जानें उनके बारे में
सुब्रत रॉय का जन्म 10 जून 1948 को अररिया, बिहार में हुआ था। गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने गोरखपुर से ही अपना बिजनेस शुरू किया। 1992 में सहारा समूह ने राष्ट्रीय सहारा नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया। इसके अलावा, कंपनी ने सहारा टीवी नाम से एक टीवी चैनल भी लॉन्च किया। आपको बता दें कि सहारा ग्रुप मीडिया, रियल एस्टेट, फाइनेंस समेत कई क्षेत्रों में काम करता है।
सहारा समूह ने एक बयान जारी कर बताया कि वे हाइपर टेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियों से लड़ रहे थे और कार्डियक अरेस्ट के कारण उनका निधन हुआ. 12 नवंबर को स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.
सुब्रत रॉय ने अपने साथ उन लाखों गरीब और ग्रामीण भारतीयों को जोड़ा, जिनके पास बैंकिंग की सुविधा नहीं थी और इन्हीं के सहारे सहारा ग्रुप खड़ा किया, लेकिन बाजार नियामक सेबी ने जब उनके खिलाफ कदम उठाए तो दशकों का बनाया हुआ साम्राज्य हिलने लगा. सहारा ग्रुप की लंबे समय से सेबी के साथ लड़ाई चल रही है.
जानिए पैसे मिलने का पूरा प्रोसेस
इस बीच निवेशकों को पैसे वापस करने के लिए केंद्र सरकार ने मोर्चा संभाल लिया है. क्योंकि निवेशकों का धैर्य जवाब दे रहा था, देश के कोने-कोने में पैसे वापसी को लेकर लोग सड़क पर उतर रहे थे. जिसके बाद इस साल जुलाई महीने में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में सहारा रिफंड पोर्टल (https://mocrefund.crcs.gov.in) का शुभारंभ किया था, इस पोर्टल को सहारा समूह की 4 सहकारी समितियों- सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के प्रामाणिक जमाकर्ताओं द्वारा दावे प्रस्तुत करने के लिए विकसित किया गया था.
सहकारिता मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अगस्त महीने तक 18 लाख से ज्यादा लोगो ने पोर्टल पर अप्लाई किया था. जुलाई में लॉन्च हुए पोर्टल के माध्यम से पहले निवेशकों को, जिनकी जमाराशि 10,000 रुपये या इससे अधिक है, उसमें से 10,000 रुपये तक की राशि का भुगतान किया जाएगा. पोर्टल पर आवेदन करने के लिए चारों समितियों का पूरा डेटा ऑनलाइन उपलब्ध है. जिससे कहीं भी किसी प्रकार की गड़बड़ी और किसी भी प्रामाणिक निवेशक के साथ अन्याय की गुंजाइश नहीं हो सकती है.
सहकारिता मंत्रालय के मुताबिक जिन्होंने निवेश नहीं किया है, उन्हें किसी भी तरह से यहां से रिफंड नहीं मिल सकता और जिन्होंने निवेश किया है, उन्हें रिफंड मिलने से कोई रोक नहीं सकता. निवेशकों के आवेदन भरने के लिए Common Service Centre (CSC) की व्यवस्था की गई है. निवेशकों के लिए दो प्रमुख शर्तें हैं- पहली, निवेशक का आधार कार्ड उसके मोबाइल के साथ लिंक्ड हो, और, आधार कार्ड उसके आपके बैंक अकाउंट के साथ लिंक्ड हो.
रिफंड के लिए पंजीकरण जरूरी
पोर्टल के जरिये रिफंड के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करना जरूरी है. इसके लिए सरकार ने व्यवस्था बना रखी है. आप जब पंजीकरण करने के बाद फॉर्म भर लेते हैं. सभी जानकारी, सहारा स्कीम में पैसा जमा करने की रसीद आदि डिटेल अपलोड कर देते हैं, इसके बाद 45 दिन का वक्त लगेगा. यहां सबसे अहम बात है कि सहारा रिफंड पोर्टल के जरिए पंजीकरण करवाने के लिए आपका मोबाइल नंबर आधार से और आपके बैंक खाते से लिंक होना चाहिए. अगर आपका मोबाइल नंबर आपके बैंक खाते या आधार से लिंक नहीं है तो पंजीकरण करना कठिन होगा.
कैसे पता लगेगा मिल गया रिफंड?
अगर आपका रिफंड मंजूर हो जाता है, तो आपको इस बारे में सूचना SMS के जरिए प्राप्त होगी. ध्यान रहे कि आपने आवेदन के वक्त दिया हुआ बैंक अकाउंट नंबर दोबारा बदल नहीं सकते हैं. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर आपका बैंक अकाउंट नंबर आधार से लिंक नहीं है, तो आप रिफंड के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं. सहारा रिफंड पोर्टल के जरिए आवदेन करने के लिए निवेशक के पास मेंबरशिप नंबर, जमा अकाउंट नंबर, आधार से लिंक मोबाइल नंबर, डिपॉजिट सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज जरूरी हैं.
45 दिनों में पूरा होगा प्रोसेस
निवेशक खुद से इस पोर्टल पर लॉगिन करके अपना नाम रजिस्टर्ड कर सकते हैं और वेरिफिकेशन के बाद पैसे वापसी की प्रक्रिया शुरू होगी. पैसों की वापसी का ये पूरा प्रोसेस 45 दिनों में पूरा होगा. अप्लाई किए जाने के बाद इसके बाद सहारा इंडिया निवेशकों के दस्तावेज Sahara Group की समितियों द्वारा 30 दिन में वेरिफाई किए जाएंगे और ऑनलाइन क्लेम दर्ज करने के 15 दिन के भीतर SMS के जरिए उन निवेशकों को सूचित कर दिया जाएगा.
ऑफिसर आन ड्यूटी करेंगे मदद
माननीय उच्चतम न्यायालय ने 29 मार्च, 2023 के अपने आदेश में निर्देश दिया था कि सहारा समूह की सहकारी समितियों के प्रामाणिक जमाकर्ताओं के वैध बकाए के भुगतान के लिए "सहारा-सेबी रिफंड खाते" से 5000 करोड़ रुपये सहकारी समितियों के केन्द्रीय रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) को हस्तांतरित किए जाएं. भुगतान की पूरी प्रक्रिया की निगरानी और इसका पर्यवेक्षण माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी कर रहे हैं, जिसमें उनकी सहायता के लिए वकील गौरव अग्रवाल (Amicus Curiae) को नियुक्त किया गया है. इन चारों समितियों से संबंधित रिफंड प्रक्रिया में सहायता के लिए 4 वरिष्ठ अधिकारियों को ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (Officers on Special Duty) के रूप में नियुक्त किया गया है.
भुगतान की पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पेपरलैस है और दावे प्रस्तुत करने के लिए बनाया गया पोर्टल यूजर फ्रेंडली, कुशल और पारदर्शी है. केवल प्रामाणिक जमाकर्ताओं की वैध राशि लौटाने को सुनिश्चित करने के लिए पोर्टल में ज़रूरी प्रावधान किए गए हैं. पोर्टल को सहकारिता मंत्रालय की वेबसाइट के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है. इन समितियों के प्रामाणिक जमाकर्ताओं को पोर्टल पर उपलब्ध ऑनलाइन आवेदन पत्र को ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ अपलोड कर अपने दावे प्रस्तुत करने होंगे. उनकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए जमाकर्ताओं का आधार कार्ड के ज़रिए सत्यापन किया जाएगा. उनके दावों और अपलोड किए गए दस्तावेजों के सत्यापन के लिए नियुक्त सोसायटी, ऑडिटर्स, और OSDs द्वारा सत्यापन के बाद उपलब्धता के अनुसार धनराशि, जमाकर्ताओं द्वारा ऑनलाइन दावे पेश करने के 45 दिनों के अंदर सीधे उनके आधार से जुड़े बैंक खाते में ट्रांस्फर कर दी जाएगी और उन्हें SMS/पोर्टल के माध्यम से इसकी सूचना दे दी जाएगी. समितियों के प्रामाणिक जमाकर्ताओं को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास आधार-लिंक्ड मोबाइल नंबर और बैंक खाता है.
एक टिप्पणी भेजें
0टिप्पणियाँ