मान्यताओं के अनुसार बहनों की राखी भाई की हर मुश्किल घड़ी में रक्षा करती है. ऐसा कहा जाता है कि जिनकी बहनें नहीं हैं, उन्हें इस दिन किसी भी मुंह बोली बहन से राखी बंधवानी चाहिए और जिनके भाई नहीं है उन्हें मुंह बोले भाई को राखी बांधनी चाहिए. ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होकर शुभ फल देते हैं.
इस साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 30 और 31 अगस्त को पड़ रही है. 30 अगस्त सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर पूर्णिमा तिथि शुरू होगी और 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 07 मिनट पर खत्म होगी. पूर्णिमा तिथि शुरू होने के साथ ही भद्रा भी लग जाएगी जो रात 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी. इसके बाद ही राखी बांधी जा सकती है. ऐसे में राखी 30 और 31 अगस्त दोनों दिन बांधी जा सकेगी.
रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व
बहन-भाईयों का रिश्ता बहुत ही अटूट माना जाता है. रक्षाबंधन के दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी आयु के लिए कामना करती हैं. वहीं भाई राखी बंधवा कर बहनों की हमेशा रक्षा करने का वचन देते हैं.
राखी बांधने का सही तरीका
रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नना कर साफ कपड़े पहनें. इसके बाद भगवान के आगे दिया जलाकर राखी की थाली सजाएं.
थाली में राखी के साथ-साथ रोली चावल, दिया और मिठाई जरूर रखें.
राखी बांधने से पहले भाई बहन दोनों को व्रत रखना चाहिए
सभी राखियों को थाली में रखकर उनकी पूजा करनी चाहिए. फिर भाइयों को तिलक लगाकर उन्हें राखी बांधनी चाहिए.
बहनों को भाई की दाईं कलाई पर ही राखी बांधनी चाहिए और फिर मिठाई से भाई का मुंह मीठा करना चाहिए.
राखी बांधने के पश्चात् भाई की आरती उतारें.
राखी बंधवाने के बाद सभी भाई अपनी बहनों को आशीर्वाद एवं उपहार देते हैं.
राखी बांधते समय बहनें भाई की लम्बी उम्र, खुशहाल जीवन एवं उन्नति की कामना करती हैं.
राखी बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण करना शुभ माना जाता है-
।। येन बद्धो बली राजा दान वेन्द्र। महाबला।।
।। तेन त्वामनु बघ्नामि रक्षो मा चल मा चलः।।
रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के स्नेह, प्रेम और रक्षा करने का पर्व है. यह त्योहार हिंदू धर्म में सदियों से मनाया जाता रहा है. बहनों को रक्षाबंधन के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि किस तरह की राखी का प्रयोग करना चाहिए और किस तरह की राखी का प्रयोग नहीं करना चाहिए. त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाली या प्लास्टिक आदि की राखियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रक्षाबंधन का दिन सोने और चांदी की राखियां बांधना भी बहुत लाभकारी होता है. ऐसा माना जाता है कि राखी यदि राशि के अनुसार बांधी जाए तो यह भाइयों के लिए सभी प्रकार से लाभ प्रदान करने वाली भी हो सकती है.
पूजा घर में रखी इस छोटी सी चीज से दूर होगी बड़ी से बड़ी परेशानी, बदल जाएगी ग्रह दशा
Raksha Bandhan 2023 : भाई और बहन के अटूट प्रेम का त्यौहार रक्षाबंधन 30 और 31 अगस्त को है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षा बांधकर दीर्घायु की कामना करती हैं. इसके बदले में भाई बहनों की रक्षा का वचन देता है. क्या आप जानते हैं कि कैसे शुरू हुई थी भाइयों को राखी बांधने की यह परंपरा?. भाई-बहन के इस त्यौहार के पीछे कई पौराणिक मान्यताएं हैं. तो आइये जानते हैं दिलचस्प कथाएं.
यह है पौराणिक कथा
बताया जाता है कि राजा बली भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे. एक बार उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया. इस दौरान उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु वामनावतार लेकर आए और दान में राजा बलि से तीन पग भूमि देने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने दो पग में ही पूरी पृथ्वी और आकाश नाप लिया. इस पर राजा बलि समझ गए कि भगवान उनकी परीक्षा ले रहे हैं. तीसरे पग के लिए उन्होंने भगवान का पग अपने सिर पर रखवा लिया, फिर उन्होंने भगवान से याचना की कि अब तो मेरा सबकुछ चला ही गया है, प्रभु आप मेरी विनती स्वीकारें और मेरे साथ पाताल में चलकर रहें. भगवान ने भक्त की बात मान ली और बैकुंठ छोड़कर पाताल चले गए.
राजा बलि के हाथ में बांधा रक्षा
उधर देवी लक्ष्मी परेशान होकर गरीब महिला बनकर राजा बलि के पास पहुंची. राजा बलि को राखी बांधी. बलि ने कहा कि मेरे पास तो आपको देने के लिए कुछ भी नहीं हैं, इस पर देवी लक्ष्मी अपने रूप में आ गईं और बोलीं कि आपके पास तो साक्षात भगवान हैं, मुझे वही चाहिए मैं उन्हें ही लेने आई हूं, इस पर बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ जाने दिया.
...तो ऐसे शुरू हुई परंपरा
रक्षाबंधन से जुड़ी एक और पौराणिक कथा है. महाभारत के समय एक बार भगवान कृष्ण की अंगुली में चोट लग गई थी और उसमें से खून बहने लगा था. यह देखकर द्रौपदी ने अपना आंचल का पल्लू फाड़कर उनकी कटी अंगुली में बांध दिया था. इसी दिन से रक्षासूत्र या राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई.
एक टिप्पणी भेजें
0टिप्पणियाँ