दुनियाभर में कमाया नाम
भारत में शौचालय क्रांति लाने वाले बिंदेश्वर पाठक को साल 2015 में 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया गया था. बता दें कि देश में स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने से बहुत पहले ही बिंदेश्वर पाठक ने सफाई को लेकर बेहतरीन पहल की थी. सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार, सामाजिक विकास तथा मानवाधिकारों की रक्षा के क्षेत्र में सक्रिय योगदान देने वाले पाठक ने 'स्वच्छता' को 'सुलभ' के रूप में नई पहचान दी और इसके लिए उन्होंने दुनियाभर में नाम कमाया.
पीएम मोदी ने जताया दुख
डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी दुख जताया. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है. वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया. बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन बना लिया. उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को जबरदस्त समर्थन दिया. हमारी विभिन्न बातचीत के दौरान स्वच्छता के प्रति उनका जुनून हमेशा दिखता रहा. उनका काम कई लोगों को प्रेरणा देता रहेगा. इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं. ऊं शांति.'
गौरतलब है कि देशभर में जितने भी सुलभ शौचालय आज दिखाई देते हैं वो डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक की दूरगामी दृष्टि का ही नतीजा हैं. उन्होंने कई वर्षों पहले इस मिशन पर काम शुरू किया और देशभर में शौचालय का निर्माण कराया.
पद्म भूषण से हो चुके हैं सम्मानित
बिंदेश्वर पाठक बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले थे, 80 वर्षीय बिंदेश्वर पाठक को साल 1999 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. साल 2003 में विश्व के 500 उत्कृष्ट सामाजिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की सूची में उनका नाम प्रकाशित किया गया. बिंदेश्वर पाठक को एनर्जी ग्लोब समेत कई दूसरे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है.
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