कैश लेन-देन पर लिमिट, 100 से ऊपर नोटों पर रोक, एंटी करप्शन याचिका पर सरकार से HC ने मांगा जवाब...

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कैश लेन-देन पर लिमिट, 100 से ऊपर नोटों पर रोक, एंटी करप्शन याचिका पर सरकार से HC ने मांगा जवाब...

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कैश ट्रांजक्शन के जरिये करप्शन पर रोकथाम की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से उनका पक्ष पूछा है। दरअसल कोर्ट में दायर की गयी याचिका में अपील की गयी थी कि 10 हजार से अधिक के लिए कैश ट्रांजैक्शन पर रोक लगाई जाए साथ ही साथ 100 रूपये के नोट के अलावा बाकी नोटों से पेमेंट पर विचार किया जाए। साथ ही साथ 50 हजार से अधिक के ट्रांसक्शन को आधार कार्ड से लिंक किया जाए। याचिकाकर्ता ने ये दलील देते हुए अपील की थी कि कैश के जरिये ही करप्शन होता है इसलिए कैश को लिमिट करने करने की आवश्यकता है तभी करप्शन रुक सकता है।

याचिका में हवाई और रेल टिकट, बिजली, एलपीजी, सीएनजी, नगर पालिका और 10,000 रुपये और उससे अधिक के ऐसे अन्य बिलों के संबंध में नकद लेनदेन पर भी रोक लगाने की मांग की गई है। यह दावा किया गया है कि यह भ्रष्टाचार, काले धन की उत्पत्ति पर अंकुश लगाने का एक व्यावहारिक समाधान है। इससे मनी लॉन्ड्रिंग, बेनामी लेनदेन और आय से अधिक संपत्ति के मामलों पर अंकुश लगेगा।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने सरकारों के वकील से निर्देश प्राप्त करने को कहा और मामले को अगस्त के लिए लिस्ट कर दिया। लेकिन कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया गया।

याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने केंद्र और राज्यों को सभी औद्योगिक और घरेलू सामानों, उत्पादों और सेवाओं में अधिकतम खुदरा मूल्य 10,000 रुपये तक नकद लेनदेन को प्रतिबंधित करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की।

याचिका में कहा गया है, "आजादी के 75 साल बाद और एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के 73 साल बाद भी कोई भी जिला रिश्वतखोरी, काले धन, बेनामी लेनदेन, आय से अधिक संपत्ति, कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग से मुक्त नहीं है।" इसमें तर्क दिया गया कि कोई भी जिला भू-माफिया, नशा-शराब माफिया, खनन माफिया, ट्रांसफर-पोस्टिंग माफिया, हवाला माफिया, अवैध अप्रवासी माफिया, धर्मांतरण माफिया, अंधविश्वास-काला जादू माफिया और सफेदपोश राजनीतिक माफिया के चंगुल से मुक्त नहीं है, इसी वजह से करप्शन और बेनामी सम्पत्ति के मामले भी बढे हैं। सरकारी दफ्तरों में करप्शन का एक जरिया कैश भी है।

याचिका में कहा गया है कि स्वच्छ और पारदर्शी शासन के बिना भारत आगे नहीं बढ़ सकता जिसके लिए भ्रष्टाचार मुक्त समाज बुनियादी आवश्यकता है। याचिकाकर्ता ने सभी काले धन, आय से अधिक संपत्ति और बेनामी संपत्तियों को जब्त करने और "लूटने वालों" को कठोर आजीवन कारावास देने का सुझाव दिया है।

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