2016 में पीएम मोदी ने आठ नवंबर की रात आठ बजे देश को संबोधित करते वक्त नोटबंदी का ऐलान किया था. जिसमें तत्काल प्रभाव से 500 और 1000 के नोटों पर बैन लगा दिया गया था. विपक्ष इसमें आज भी सरकार को घेरता रहा है. एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने सरकार की सबसे बड़ी विफलता इसे करार दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सरकार का फैसला एकदम सही है. इस प्रक्रिया में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं है.
केंद्र सरकार ने SC को दिया जवाब
केंद्र ने याचिकाओं के जवाब में सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जाली नोटों, बेहिसाब धन और आतंकवाद जैसी गतिविधियों से लड़ने के लिए नोटबंदी का कदम उठाना पड़ा. नोटबंदी को अन्य सभी संबंधित आर्थिक नीतिगत उपायों से अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए या इसकी जांच नहीं की जानी चाहिए. आर्थिक व्यवस्था को पहुंचे बहुत बड़े लाभ और लोगों को एक बार हुई तकलीफ की तुलना नहीं की जा सकती. नोटबंदी ने नकली करंसी को सिस्टम से काफी हद तक बाहर कर दिया. नोटबंदी से डिजिटल अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचा है.
4-1 के बहुमत से हुआ फैसला
न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले पर फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति नजीर, न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति नागरत्ना के अलावा, पांच न्यायाधीशों की पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन हैं. इस फैसले को 4 जजों का बहुमत हासिल हुआ जबकि न्यायमूर्ति नागरत्ना फैसले के खिलाफ थीं. आपको बता दें कि उन्होंने नोटबंदी पर सरकार के फैसले को गलत बताया. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सात दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें.