Sambhal News: पति की मौत से सदमें में महिला, पांच घंटे के भीतर तोड़ा दम, ढोल- नगाड़ों के साथ निकली शवयात्रा...

Digital media News
By -
3 minute read
0

संभल: जिंदगी संग मौत भी। एक बुजुर्ग दम्पती के पूरे जीवन में भी उनके आपसी लगाव के चर्चे हुए और मौत के बाद भी। एक ऐसी मुहब्बत जो हर किसी के जुबान पर है। पति का बिछड़ना पत्नी को बर्दाश्त नहीं हुआ। पति के साथ ही अंतिम यात्रा पर निकल गईं। लालपुर में जो हुआ वह अक्सर फिल्मों में देखने को मिलता है। यहां पति-पत्नी के प्रेम का जीवंत उदाहरण देखने को मिला। जहां दोनों की अर्थी एक साथ उठने के साथ ही उन्होंने जीने मरने की कसम को सार्थक कर दिया।

अग्नि देव को साक्षी मानकर सात फेरे लेकर पति जिस आंगन में पत्नी को साथ लाया था। उसी आंगन से दोनों की अर्थी भी एक साथ उठी पत्नी ने दुनिया को छोड़ने में भी अपने पति का साथ निभाया जिसने भी यह नजारा देखा उनकी आंखें नम हो गई।

मामला कैलादेवी थाना क्षेत्र के लालपुर गांव का है। जहां पति पत्नी के बीच काफी गहरा प्रेम था। दोनों साथ जीने मरने की कसम खाई थी। उस कसम को जीते जी निभाने के साथ ही मरने के वक्त भी निभाया। गांव लालपुर निवासी 80 वर्षीय हरपाल की शुक्रवार रात्रि को लगभग एक बजे मृत्यु हो गई। मृतक बुजुर्ग व्यक्ति हरपाल की पत्नी टिकनिया उर्फ भागवती अपने पति की मृत्यु के बाद मौत के समय से ही सुबह तक अपने पति के पास ही बैठी रही और अपने जीवन भर के अटूट प्रेम को याद कर कर रो रही थी।

देखते ही देखते पत्नी की भी थम गई सांसे

जैसे ही सुबह परिवार के सदस्यों और गांव वालों ने हरपाल के शव को अंतिम संस्कार के लिए उठाया। तभी पत्नी टीकनिया उर्फ भागवती भी उनके शव से लिपट कर रोने लगी और कह रही थी कि मुझे भी अपने साथ ले चलो। यह कहते कहते ही देखते ही देखते पत्नी की भी सांसे थम गई किसी डॉक्टर के पास पहुंचते उससे पहले ही पत्नी की भी मौत हो गई।

क्षेत्र में दोनों की एक साथ मौत की चर्चा जोरो से फैल गई। लोग अटूट प्रेम के इस जोड़े को एक साथ संसार से विदा होते देखने के लिए दंपति के घर पहुंचे। उनके पांच पुत्र तथा दो पुत्री हैं। तीन पुत्र तथा दोनों पुत्रियों की शादी कर दी गई है तथा दो पुत्र अविवाहित हैं।

एक साथ मौत होना दोनों के प्रेम की निशानी

दंपति के बेटे सत्यपाल ने बताया की पिता की मृत्यु शुक्रवार रात्रि लगभग एक बजे हुई शनिवार सुबह जैसे ही पिताजी के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे थे। उसी समय माता जी की मृत्यु हो गई। दोनों में काफी प्रेम था। दोनों की मौत से काफी दुख भी है मगर एक तरफ दोनों की एक साथ मौत होना दोनों के प्रेम की निशानी भी है। जिसे हम जीवन भर याद रखेंगे। हम पांचों भाई मिलकर अपने माता पिता के शव यात्रा को बड़े धूमधाम तथा खुशी के साथ आतिशबाजी एवं ढोल नगाड़े बजाकर पूरे गांव में घुमाकर निकालेंगे और फिर गंगा जी जाकर एक ही चिता में रखकर दोनों का अंतिम संस्कार करेंगे।                                                        source: digital media

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)